MP Samachar: आज़ादी के 77 बीत गए हैं। मूल-भूत सुविधाओं सड़क, बिजली, शिक्षा स्वास्थ्य के बिना आज के समय में हम जीवन जीने की कल्पना भी नहींकर सकते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश का डिंडौरी जिला आज भी बुनियादी सुविधाओं से अछूता है। जिले के आदिवासी बहुल वन ग्राम जीलंग में बैगा जनजाति के लोग रहते हैं। लेकिन आज के आधुनिक युग में भी यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
गांव जीलंग में बैगा जनजाति के 250 से ज्यादा लोग रहते हैं, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी गांव में सड़क तक नहीं बन पाई है। सड़क न होने के कारण एंबुलेंस और अन्य वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते। पिछले सितंबर में समय पर इलाज न मिलने से मां-बेटे की मौत हो गई थी। फिर अधिकारी ट्रैक्टर से और आधा रास्ता पैदल ही तय करके गांव तक पहुंचे। गांव में सड़क नहीं होने के कारण लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ग्रामीण राशन लेने के लिए पांच किलोमीटर पैदल चलकर शेरज़ार की सरकारी दुकान पर जाते हैं। बैगा आदिवासी परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता जिससे उनका जीवन कठिन हो जाता है। इसी के चलते गांव के लोग अपनी शिकायतों का पुलंदा लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और सड़क निर्माण की मांग की।
एक ग्रामीण महिला भी कलेक्टर से अपने इलाके में सड़क बनवाने की मांग करती नज़र आई। उनकी समस्याएं सुनने के बाद कलेक्टर ने जल्द ही सड़क बनाने का आश्वासन दिया। गौरकनहारी पंचायत के सरपंच सुकाल सिंह और जिला पंचायत अध्यक्ष रूदेश परस्ते ने भी गांव के लिए सड़क निर्माण की मांग की। उन्होंने कहा कि सड़क के अभाव में गांव के लोग सरकारी योजनाओं व सुविधाओं से वंचित हैं।
जीलंग गांव के कई आदिवासी परिवार अभी भी कई अंदरूनी इलाकों और गांवों में बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अब प्रशासन के आश्वासन के बाद यहां के आदिवासियों को उम्मीद है कि गांव तक सड़क बनेगी और लोगों को राहत मिलेगी।