काकोरी में क्या हुआ था ? योगी सरकार इसे 'कांड' नहीं बल्कि 'ट्रेन कार्रवाई' क्यों मानती है, जानिए
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा अंग्रेजों को हराने के लिए कई आंदोलन किए गए. एक तरफ जहां 'भारत छोड़ो आंदोलन' की बरसी मनाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ 'काकोरी कांड' की चर्चा भी 9 अगस्त को होती है. आज इस मौके पर उत्तर प्रदेश में कई कार्यक्रम हो रहे हैं, हालांकि उत्तर प्रदेश के निमंत्रण पत्र में कुछ ट्विस्ट हैं. इस घटना को इतिहास में 'काकोरी कांड' के नाम से जाना जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आधिकारिक आमंत्रण में इसे 'काकोरी ट्रेन कार्रवाई' नाम दिया है. यूपी सरकार ने काकोरी कांड शब्द को अपमानजनक माना है और इसलिए इसकी भाषा बदल दी है.

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इस अवसर पर सोमवार को उत्तर प्रदेश के काकोरी में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस दौरान किसागोई, तिरंगा यात्रा, फिल्म प्रदर्शनी समेत अन्य कार्यक्रम हुए. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और कई अन्य अतिथि शामिल हुए.
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क्या थी घटना ?
9 अगस्त 1925 का काकोरी कांड हमेशा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, राजेंद्र प्रसाद लाहिदी और कई अन्य क्रांतिकारियों के लिए जाना जाता है. उस समय हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़े क्रांतिकारियों ने इस घटना को अंजाम दिया था. इस घटना में 9 अगस्त, 1925 को काकोरी में हुई एक ट्रेन डकैती शामिल है. प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन को लूटने की योजना बनाई. जब ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील की दूरी पर थी, तो उसमें बैठे 3 क्रांतिकारियों ने ट्रेन को रोक दिया और सरकारी खजाने को लूट लिया. इसके लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने जर्मन मौजर का इस्तेमाल किया और ब्रिटिश सरकार के खजाने से 4,000 रुपये लूट लिए. काकोरी कांड के सिलसिले में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान और रोशन सिंह को फांसी दी गई थी. शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने इस घटना के बारे में विस्तार से लिखा.