भोपाल: प्रदेश में अब वन्यप्राणी बाघ, तेंदुआ एवं हाथी का रेस्क्यु करने एवं उनका विचरण क्षेत्र जानने के लिये राज्य एवं जिला स्तर पर कंट्रोल रुम बनाये जायेंगे। इसके अलावा, वन्यजीवों की उपस्थिति के संबंध में एलर्ट सिस्टम भी विकसित किया जायेगा। यह निर्णय राज्य के वन विभाग के अधीन कार्यरत एमपी टाईगर फाउण्डेशन कमेटी की बैठक में लिया गया है।
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि नवीन वन्यजीव संरक्षण योजनाओं में ये कार्य एकसाथ शामिल किये जायेंगे जैसे वन्यजीव रहवास सुधार, बाघ-तेंदुआ-जंगली हाथी के विचरण क्षेत्र, प्रेबेस (मांसाहारी वन्यप्राणियों के लिये भोजन की व्यवस्था) प्रबंधन, रेस्क्यु स्क्वाड को आश्वयक संसाधन, स्थानीय निवासियों को वैकल्पिक रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराना आदि कार्य। जो वन्यजीव संरक्षण योजनायें पहले से स्वीकृत हैं, उनमें भी उक्त कार्य शामिल कर उन्हें पुनरीक्षित करना होगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में चेनलिंक फेंसिंग के साथ सोलर फेंसिंग अनिवार्य रुप से की जाये। निगरानी के लिये एमपी इलेक्ट्रानिक विकास निगम के द्वारा अधिकृतज किये गये वेंडरों से ड्रोन सेवायें किराये पर ली जायें।
अब कमेटी ही बनायेगी योजनायें :
बैठक में तय किया गया कि वन्यजीव संरक्षण प्रबंधन की योजनायें अब एमपी टाईगर फाउण्डेशन कमेटी बनायेगी। वर्तमान में प्रदेश के वन क्षेत्रों में खनन गतिविधियों में शामिल कंपनियां और एजेन्सियां वन्यजीव संरक्षण प्रबंधन योजनायें तैयार करने के लिये अपने स्तर पर विभिन्न संस्थाओं की सेवायें लेती हैं। लेकिन अब टाईगर फाउण्डेशन इन योजनाओं को, सतत विकास लक्ष्यों और संरक्षण मानकों के अनुरुप करने के लिये, स्वयं इन योजनाओं को तैयार करेगा।
विशेषज्ञों और सलाहकारों की सेवायें प्राप्त कर टाईगर फाउण्डेशन व्यापक और सुविचारित प्रबंधन योजनायें प्रदान करेगा जिससे बेहतर पारिस्थितिक परिणाम होंगे और फाउण्डेशन को एक अतिरिक्त आय का स्रोत प्राप्त होगा। इसके लिये किसी एक वन क्षेत्र की वन्यजीव संरक्षण प्रबंधन योजना पायलट प्रोजेक्ट के रुप में ली जायेगी।