मध्य प्रदेश सरकार ने सेरोगेसी को लेकर राज्य समुचित प्राधिकरण (एसएए) का गठन किया है, जो अधिक से अधिक बैठकें आयोजित करेगा। आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया अब 7-10 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
ऐसे में जो लोग बच्चा पैदा करने के लिए अनफिट हैं और इसके लिए सैरोगेसी का सहारा लेना चहते हैं, उनको लंबे सम तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। इससे पहले, सरोगेसी के लिए आवेदन प्रक्रिया में चार महीने लगते थे। राज्य सरोगेसी बोर्ड की बैठक हर चार महीने में सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में होती है, जिसमें राज्य भर से प्राप्त आवेदनों पर निर्णय लिया जाता है। इस प्रक्रिया के कारण कई दम्पतियों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।
अब आवेदन की यह सीमा घटाकर मात्र 7-10 दिन कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब दम्पतियों को सरोगेसी के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब प्रक्रिया वही रहेगी लेकिन आवेदन राज्य बोर्ड के बजाय सीधे राज्य के उपयुक्त एआरटी एवं सरोगेसी प्राधिकरण (एसएए) को दस दिन के भीतर भेजे जाएंगे।
आपको बता दें, कि सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक सरोगेट मां चिकित्सा तकनीकों के माध्यम से गर्भधारण करके किसी अन्य दम्पति के लिए बच्चा पैदा करती है। यह उन दम्पतियों के लिए एक बड़ा विकल्प माना जाता है जो शारीरिक कारणों से स्वयं बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं।
सरोगेसी में, सरोगेट महिला अपने या किसी डोनर के एग का उपयोग करके गर्भ धारण कराती है तथा बच्चे के जन्म होने तक उसे अपने गर्भ में पालती है। जन्म के बाद सरोगेट मां का बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता।
आपको बता दें, कि प्रदेश में दो साल में 10 आवेदन स्वीकार किए। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने बताया कि राज्य सरोगेसी बोर्ड ने मध्यप्रदेश में 2023 से 2025 तक सरोगेसी के कुल 10 आवेदन स्वीकार किए हैं। अक्टूबर 2024 से मध्यप्रदेश ने सरोगेट मदर के लिए दिए जाने वाले इंश्योरेंस को 1 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया है।