अब पुलिस को जांच न करने की भी सूचना फरियादी को देनी होगी


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स्टोरी हाइलाइट्स

यदि पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी की गई रिपोर्ट में यह पाता है कि प्रकरण में जांच करने का पर्याप्त आधार नहीं है, तो उसे इसकी सूचना फरियादी को देनी होगी..!!

भोपाल: राज्य सरकार के गृह विभाग ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2003 के प्रावधानों का पालन करने के लिये छह अधिसूचनायें जारी की हैं। 

एक, यदि पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी की गई रिपोर्ट में यह पाता है कि प्रकरण में जांच करने का पर्याप्त आधार नहीं है, तो उसे इसकी सूचना फरियादी को देनी होगी।

दो, पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति की सूचना एक विहित रजिस्टर में रखना होगी तथा पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति से संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तारी की सूचना लिखित या इलेक्ट्रानिकली देनी होगी।

तीन, पुलिस को न्यायालय में आरोप-पत्र जारी करने या प्रकरण में खत्मा लगाने या खात्मे के प्रतिवेदन की सूचना भी पीडि़त पक्ष को कोर्ट को सूचना देने के पहले देनी होगी जिसमें कोर्ट में पेश किये जाने वाले प्रकरण की दिनांक शामिल होगी।

चार, एनआईसी द्वारा तैयार नेशनल वीडियो कान्फे्रंसिंग ग्रिड के अंतर्गत दस प्रकार के वीसी केंद्र अधिकृत होंगे जिनमें शामिल हैं : कलेक्टर/उपखण्ड मजिस्ट्रेट कार्यालय, पुलिस आयुक्त कार्यालय, एसपी कार्यालय, सीएसपी/सहायक पुलिस आयुक्त/एसडीओ पुलिस कार्यालय, जिला जेल/उपजेल, शासकीय चिकित्सा कालेज/शासकीय जिला अस्पताल/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, केंद्रीय एवं क्षेत्रीय एफएसएल/स्टेट क्वेश्चन डक्युमेंट कार्यालय, पर्यवेक्षण गृह/विशेषगृह/बाल गृह/आश्रय गृह/कोई संगठन जो बाल सुविधा केंद्र कहा जाये, महिला संरक्षण गृह/आश्रय गृह, नारी निकेतन/अन्य कोई संगठन जिसे महिला सुविधा केंद्र कहा जाये तथा ईओडब्ल्यु/लोकायुक्त संगठन/नारकोटिक्स/स्पेशल टास्क फोर्स/ सीआईडी/सायबर मुख्यालय एवं जिला कार्यालय।

पांच, हाईकोर्ट द्वारा, जिला एवं तहसील स्तर पर, श्रव्य-दृश्य इलेक्ट्रनिक साधनों से गवाह का परीक्षण करने के समय-समय पर स्थापित वीसी केंद्र अधिकृत रहेंगे।

छह, कोर्ट में जमानत आदि के लिये दी गई गई सम्पत्ति का विवरण संबंधित कोर्ट 14 दिन के अंदर विहित किये गये प्रारुप अनुसार दर्ज करेगी जिसमें वाहन, आभूषण, पशु, करेंसी, फसल, धान/तिलहन, दस्तावेज एवं अन्य वस्तुयें शामिल हैं।