भोपाल: राज्य का वन विभाग अपने डिपो से लकडिय़ों की ऑनलाईन बिक्री के लिये सभी अपेक्षित व्यवस्था अब तक नहीं कर पाया है जबकि उच्च स्तर पर ऑनलाईन नीलामी एवं ऑनलाईन अनुज्ञा पत्र परियोजना के अंतर्गत चल रहे सॉफ्टवेयर एवं पोर्टल विकास के कार्यों की समीक्षा हेतु दो बैठकें इलेक्ट्रानिक विकास निगम, साइबर ट्रेजरी, वन विभाग एवं आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारिओं के साथ हो चुकी है।
दूसरी समीक्षा बैठक में बताया गया है कि इलेक्ट्रानिक विकास निगम द्वारा डिपो से बिक्री के बाद लकडिय़ों के परिवहन हेतु ऑनलाइन टीपी जारी करने की प्रक्रिया का कार्य वर्तमान में प्रारंभिक स्थिति में है। इसलिये 15 अक्टूबर 24 तक मॉड्यूल का विकास करना संभव नहीं है और अब यह कार्य इलेक्ट्रानिक विकास निगम को 15 दिसम्बर 2024 तक करना होगा।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि छोटे क्रेताओं की भागीदारी एवं सुविधा हेतु इलेक्ट्रानिक विकास निगम द्वारा मोबाईल एप का प्रथम वर्जन 28 अक्टूबर 2024 तक पूर्ण कर लॉन्च किया जा सकेगा। परन्तु मोबाईल एप के प्रथम वर्जन में रिफंड की प्रक्रिया का प्रावधान नहीं होगा और के्रता को रिफंड वेब पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।
बैठक में निर्देश दिये गये कि ऑनलाइन नीलामी पोर्टल में विक्रित लॉटों के भुगतान तथा नीलामी सम्बंधित दस्तावेज जैसे सेल सैंक्शन, वर्क ऑर्डर एवं ई-इनवॉइस का प्रावधान सिस्टम में 15 अक्टूबर 2024 तक क्रियान्वित किया जाए। उक्त कार्य को क्रियान्वित करने से पूर्व कम से कम एक डिपो में पायलट तौर पर किया जाए। क्रेता द्वारा भुगतान उपरांत भुगतान की रसीद में साइबर ट्रेजरी में हुए लेनदेन का आईडी (सीआरएन/यूआरएन) सत्यापन हेतु अंकित किया जाए।
सिस्टम में एमपी साइबर ट्रेजरी द्वारा भुगतान राशि की प्राप्ति की पुष्टि (अधिकतम 48 घंटे) उपरांत नीलामी सम्बंधित दस्तावेजों का ऑटोमेटिक एप्रूवल एवं जनरेशन निश्चित किया जाए।
बैठक में वन विभाग द्वारा मत रखा गया कि ऑनलाइन नीलामी को अधिक उपयोगी बनाने के किए सिस्टम में समस्त लॉट्स को एक साथ 3-5 घंटों के लिए क्रेताओं की बोली के लिए प्रस्तुत/ पब्लिश किया जाए और समय समाप्त होने पर लॉट्स का रिजल्ट निकाला जाए। इस प्रक्रिया से समय की बचत होगी तथा लॉट्स की संख्या की बाध्यता नहीं होगी।
इस पर इलेक्ट्रानिक विकास निगम द्वारा कहा गया कि उक्त प्रक्रिया वर्तमान सिस्टम में करना तकनीकी रूप से मुश्किल है। यह करना सिस्टम के लिए कार्यात्मक एवं तकनीकी रूप से सिस्टम को री स्ट्रक्चर करना जैसा होगा जिसके डेवलपमेंट एवं टेस्टिंग में अधिक समय लगना सम्भावित है। निगम को इस व्यवस्था को जल्द दुरुस्त करने के लिये कहा गया है।