परिवार में सामंजस्य कैसे बैठायें..
कुछ दशक पहले तक संयुक्त परिवार के बूते पर हर व्यक्ति बड़े संबल के साथ रहता था। फिर न्यूक्लियर फैमिली ने परिवारवाद की उस संस्कृति को ही समाप्त कर दिया। ऐसा नहीं है कि किसी एक को अच्छे और दूसरे को बुरे की कैटेगरी में डाल दिया जाए। शायद परिस्थितियों का अंतर है, जिसने इस तरह की संस्कृति में आमूलचूल बदलाव करें और फिर हर किसी ने इन्हें एडॉप्ट कर लिया।
परिवारवाद को बताने का आशय सिर्फ उन रिश्तों की अहमियत बताना ही है जिन्हें हम जाने-अनजाने दरकिनार करने की कोशिश करते हैं। रिश्ते वाकई में वह महीन डोर है जिनसे हर कोई बंधा रहता है। इन रिश्तों को समझने और समझाने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। इसलिए उनके लिए जरूरी है कि वे खुद होकर ऐसे रिश्तों को सहेजें, रिश्तों की अहमियत को समझें और अपने बच्चों को भी समझाएं।
• हमेशा घर के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें, आपसे ही आपके बच्चे भी यह सीखेंगे।
• बच्चों के सामने न तो अनावश्यक बहस करें और न ही आपस में लड़े क्योंकि ऐसी बातें बच्चों के दिलो दिमाग को प्रभावित करती हैं।
• रिश्तेदारों से भले ही रोज न मिल सके लेकिन महीने में एक बार अवश्य मिलें और बच्चों को भी मिलवाएं। ताकि बच्चे उन्हें जान सके।
• घर पर चार-छह महीने में छोटे-मोटे आयोजन रखें जिसमें रिश्तेदार शामिल हो। यह भी मेलजोल और आपसी समझ के लिए महत्वपूर्ण बात है। साथ ही त्योहार भी मिलकर मनाएं।