पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुराम ने क्षत्रिय वंश का नहीं बल्कि हैहय वंश का नाश किया था..!
भगवान परशुराम ने हैहय वंश का नाश क्यों किया?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हैहय वंश के एक राजा सहस्त्रार्जुन ने अपनी शक्ति और अहंकार के कारण ऋषियों और ब्राह्मणों को लगातार सताया था। एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना के साथ परशुराम के पिता जमदग्नि मुनि के आश्रम में पहुंचे। वहां जमदग्नि ऋषि ने राजा का सम्मान किया और चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से राजा सहित सभी सैनिकों की भूख बुझाई।
किंवदंती के अनुसार, कामधेनु के चमत्कार से प्रभावित राजा सहस्त्रार्जुन लालची हो गए और उन्होंने भगवान परशुराम के पिता से उनकी गाय को जबरन छीन लिया। जब भगवान परशुराम को इस बात का पता चला तो उन्होंने राजा को मार डाला।
ऐसा कहा जाता है कि राजा सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम के पिता को मार डाला था। अपने पति के वियोग में भगवान परशुराम की मां सती हो गयी। ऐसा माना जाता है कि पिता के शरीर पर 21 घाव देखकर भगवान परशुराम ने प्रतिज्ञा की थी कि वह इस वंश को नष्ट कर देंगे। इस तरह उसने 21 बार हैहय वंश का अंत किया।