भोपाल,
प्रदेश में 42 बाघों को मौत के घाट उतारा गया है। ये सभी घटनाएं 2021 में हुई जो बीते 6 वर्षों में सबसे अधिक है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण से मिले आंकड़ों के मुताबिक 6 वर्षों में मप्र के 181 बाघों को शिकारियों ने बंदूक, जहर और फंदे में फंसाकर मारा है। शिकार की ये वे घटनाएं हैं जो वन विभाग के रिकार्ड में है जो घटना रिकार्ड में नहीं आई हैं। जंगलों में इसके अलावा भी बाघों की मौतें हुई हैं जो दस्तावेजों में नहीं आई है।
प्रदेश में 526 बाघ है। यह आंकड़ा 2018 की बाघ आकलन रिपोर्ट के अनुसार है। वर्तमान में भी बाघ आकलन का काम चल रहा है। बाघों की संख्या बढ़ने का अनुमान है यदि ये बाघ बचते तो मप्र में इनकी संख्या और बढ़ी हुई मिलती थी लेकिन शिकारियों ने इन्हें मौत के घाट उतार दिया है। ये शिकार टाइगर रिजर्व, सामान्य वन मंडल के अंदर हुए हैं। सभी मामलों में स्थानीय वन विभाग और स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने कार्रवाई की है। लगभग शिकार के सभी प्रकरणों में शिकारियों को पकड़ा जा चुका है।
वन्य प्राणी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिकारियों की कमर तोड़ने के लिए अभियान लगातार जारी है। आगे भी जारी रहेगा। स्थानीय ग्रामीणों की मदद ली जा रही है। बाघों के अंगों का व्यापार विदेश तक होता था इस गिरोह को थोड़ा है एक से दूसरे राज्यों के शिकारियों का जाल भी तोड़ने में सफल हुए हैं। स्थानीय शिकारी अभी भी सक्रिय हैं इन्हें भी पकड़ा जा रहा है। गंभीर से गंभीर घटनाओं को कम से कम समय में खुलासा किया है।
प्रदेश में बाघों के शिकार की घटनाएं
वर्ष
2016 -34
2017- 27
2018- 19
2019- 29
2020 -30
2021 -41
कुल -182