गौरव चौधरी के निलंबन पर उठ रहें है सवाल


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स्टोरी हाइलाइट्स

मां के उपचार के लिए अर्जित अवकाश हैं तो हाथियों की मौत के लिए दोषी कैसे..?

भोपाल। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत को लेकर हुई गौरव चौधरी के निलंबन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विभाग के आला अफसर सवाल उठा रहें है कि जब मां के उपचार के लिए गौरव चौधरी 26 अक्टूबर से अर्जित अवकाश का थे तब हाथियों की मौत के लिए उन्हें कसूरवार कैसे ठहराया जा सकता हैं?

निलंबित आईएफएस अधिकारी गौरव चौधरी ने 2 सितंबर को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर का कार्यभार संभाला और 26 अक्टूबर से अर्जित अवकाश पर चले गए। उनके अवकाश पर जाने के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर का प्रभार अमित दुबे को दिया गया है। बांधवगढ़ में हाथियों की मौत का सिलसिला 30 अक्टूबर से शुरू हुआ।

31 अक्टूबर को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ बीएन अंबाड़े बांधवगढ़ पहुंचे थे। बांधवगढ़ से अंबाड़े ने मोबाइल पर गौरव चौधरी से बात की। तभी चौधरी ने अपनी मां के स्वास्थ्य का उपचार होने की बात कहकर 5 नवंबर के बाद लौटने की बात कही। ऐसे में निलंबन आदेश में टेलीफोन नहीं उठाने की बात भी अंकित प्रतीत हो रही है। वैसे भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 70- 80 हां जंगली हाथियों का स्थाई बसेरा तीन-चार साल से है। इस बीच कई फील्ड डायरेक्टर रहे। 

हाथियों की मौत का रहस्य बरकरार

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत का रहस्य अभी भी बरकरार है। शासन और वन विभाग के आला अफसरों को फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। कल तक फॉरेंसिक की रिपोर्ट आने की संभावना है। इस बात से मुख्यमंत्री से लेकर सभी अधिकारी इनकार कर रहे हैं कि कोदो खाने से हाथियों की मौत हुई है। पूर्व में किए गए शोध पत्रों में भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि कोदो खाने से हाथी की मौत हुई है।