भारतीय राजनीति में यदि किसी एक व्यक्ति को कोरम किंग का दर्जा मिला तो वे हैं उज्जैन के हुकुमचंद कछवाय.... आम आदमी की पीड़ा और संवेदना को समझने का हुनर रखते थे वे। संसदीय इतिहास में उनके नाम कई कीर्तिमान दर्ज हैं, उन्होंने जितने प्रश्न संसद में मानवता और जन हित के उठायें हैं, उतने आज तक किसी भी अन्य जनप्रतिनिधि के खाते में नहीं हैं। उनकी शैली के सब मुरीद थे, चाहे सत्ता पक्ष रहा हो या विपक्ष। नेहरू जी, इंदिरा जी और अटल जी के वे प्रिय पात्र थे उनके समकालीन उनके वक्तव्य देने की शैली के कायल थे।
मध्य प्रदेश की राजनीति में जनसंघ के जमाने से लेकर कांग्रेस और आज की भारतीय जनता पार्टी तीनों में उनका डंका बजता रहा ...राजमाता सिंधिया तो उन्हें मानवता की जीती जागती मिसाल कहती थी, एक मिल मजदूर, कुली और आम गरीब इंसान का दर्द उन्हें इसलिए पता था, क्योंकि संसद पहुंचने से पहले वह इस रास्ते के राही रहे थे, हुकुमचंद कछवाय ऐसे द्रोणाचार्य हैं, जिनकी पाठशाला से निकल कर पंच, सरपंच विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री राज्यपाल और देश के राष्ट्रपति तक बन गए।
पूर्व राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद उन्हें अपना आदर्श मानते थे और उनकी छाया में ही वे पुष्पित पल्लवित भी हुए.... सीधे-सादे व्यक्तित्व के धनी, लेकिन दबंग शैली के कारण विश्व विख्यात हुए कछवाय जी को मैंने बहुत करीब से देखा है .... या यूं कहें कि उनके साथ भारतीय राजनीति का वह दर्शन समझने की चेष्टा की है, जो आज कहीं नजर नहीं आता.....वे गरीब तबके और सर्वहारा वर्ग के लिए दिन-रात दिल में तड़पन लेकर जीते थे।
मुझे अच्छे से याद है एक आधी रात को वे एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के बंगले पर जा पहुंचे और यह कहकर उन्हें नींद से जगा दिया कि सुबह आप दैनंदिन कार्यों में व्यस्त रहते हैं और शाम को आप पार्टियों में, दिन भर मिलते नहीं, इसलिए जनहित की खातिर निद्रा त्याग करिए... ऐसे एक या दो नहीं सैकड़ों उदाहरण है जो उन्हें आज के राजनेताओं से बहुत ऊंचा रखते हैं.... उन पर लिखी एक पुस्तक फर्श से अर्श तक उनके जीवन के किस्सों का जीवंत दस्तावेज है... वाकई में भारतीय राजनीति की दशा और दिशा बदलने के लिए ऐसे ही जन सेवकों की आवश्यकता है…
डॉ. नवीन आनंद जोशी
ई-100/22 शिवाजी नगर भोपाल
9425018708
27वीं पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन.…