ऐशबाग थाने में पदस्थ ASI पवन रघुवंशी के घर पर छापेमारी, 15 लाख कैश बरामद


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स्टोरी हाइलाइट्स

पुलिस कमिश्नर हरीनारायणचारी पहले ही एएसआई को सस्पेंड कर चुके हैं..!!

ऐशबाग थाने में पदस्थ रहे एएसआई पवन रघुवंशी के घर पर क्राइम ब्रांच ने छापेमारी की। इस दौरान एएसआई के घर से 15 लाख रुपए नगद बरामद किए गए। बताया जा रहा है, कि ये छापा पुलिस कमिश्नर ने डलवाया।

पुलिस कमिश्नर हरीनारायणचारी पहले ही एएसआई को सस्पेंड कर चुके हैं। आपको बता दें, कि राजधानी भोपाल के ऐशबाग थाने में पदस्थ एएसआई पवन रघुवंशी को लगातार वसूली और ढीली कार्रवाई की शिकायतों के चलते लाइन अटैच कर दिया गया। उन पर धोखाधड़ी करने वाले कॉल सेंटरों के खिलाफ उचित कार्रवाई न करने और जुआरियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने यह कदम उठाया है।

दरअसल 23 फरवरी को पुलिस ने भोपाल के प्रभात स्क्वायर स्थित एक बिल्डिंग में चल रहे 'आइडियोलॉजी एडवांस स्टॉक प्राइवेट लिमिटेड' नाम के कॉल सेंटर पर छापा मारा था। यह कार्रवाई एएसआई पवन रघुवंशी ने की। सूत्रों के अनुसार, कॉल सेंटर संचालक अफजल खान घटनास्थल पर मौजूद था, लेकिन पुलिस को चकमा देकर भाग गया। 

पुलिस ने उनके बेटे अमन खान के खिलाफ मामूली धाराओं में मामला दर्ज कर लिया, जिससे वह आसानी से जमानत पर रिहा हो गया। मामला जब पुलिस के उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो एएसआई पवन रघुवंशी को लाइन अटैच कर दिया गया। कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक-युवतियों से पूछताछ में पता चला कि वे सोशल मीडिया पर शेयर बाजार में निवेश से संबंधित विज्ञापन चला रहे थे।

इसके बाद पुलिस ने 80 से अधिक कंप्यूटर और 26 मोबाइल सिम जब्त किए। मामले में साइबर पुलिस की मदद से कॉल सेंटर से डिलीट किए गए डाटा को रिकवर करने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस को एक डायरी भी मिली है जिसमें 100 से अधिक नाम और मोबाइल नंबर दर्ज हैं। सभी को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया है। 

भोपाल का ऐशबाग पुलिस स्टेशन लगातार विवादों में घिरा रहता है। ऐशबाग थाने के पुलिसकर्मियों पर पहले भी जुआरियों को संरक्षण देने का आरोप लग चुका है। एसीपी सुरभि मीना की रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि पुलिसकर्मी लंबे समय से जुआरियों के साथ लेन-देन में संलिप्त थे।

ऐशबाग पुलिस स्टेशन लगातार विवादों में घिरा रहता है। एएसआई पवन रघुवंशी को लाइन अटैच किए जाने और इस छापेमारी के बाद अन्य पुलिसकर्मियों पर भी विभागीय कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। जुआ, धोखाधड़ी और फर्जी मामलों में संलिप्तता के कारण भोपाल पुलिस की छवि पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।