Ratapani Tiger Reserve: झीलों का शहर भोपाल बना टाइगर कैपिटल, रातापानी अभयारण्य टाइगर रिजर्व घोषित, जानें खासियत


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

Ratapani Tiger Reserve: सीएम मोहन यादव ने कहा है कि रायसेन जिले में स्थित रातापानी को अब टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है, इस निर्णय से न केवल बाघ संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन को भी नई दिशा मिलेगी..!!

Ratapani Tiger Reserve: 2 दिसंबर, 2024 अब से मध्य प्रदेश के लिए एक विशेष तारीख होगी, क्योंकि इस दिन रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को राज्य का आठवां बाघ अभयारण्य घोषित किया गया है। इसका नोटिफिकेशन मध्य प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया है। 

प्रस्तावित रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का क्षेत्रफल 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर जोन का क्षेत्रफल 507.653 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1271.465 वर्ग किलोमीटर होगा।

रातापानी टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र के अंतर्गत झिरी बहारा, जवारा मालखर, डेलावाड़ी, सुरई ढाबा, पंजीर, केरी चौक, दांतखो, सजौली और जेतपुर की राजस्व भूमि परिक्षेत्रों का 26.947 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बफर क्षेत्र में शामिल है। भौगोलिक दृष्टि से टाइगर रिजर्व में स्थित इन 9 गांवों को अभयारण्य अधिसूचना में कोर एरिया में शामिल नहीं किया गया है।

टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। भोपाल 'टाइगर कैपिटल' के नाम से जाना जायेगा। बाघ अभयारण्यों के निर्माण और भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बजट मिलने से वन्य जीवों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। 2022 की जनगणना के मुताबिक यहां 785 बाघ हैं। वर्ष 2018 में यह संख्या 526 थी. मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने से वन्य प्राणियों का आवास क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। 

रातापानी टाइगर रिजर्व के निर्माण से टाइगर रिजर्व का संपूर्ण कोर क्षेत्र रातापानी टाइगर रिजर्व की सीमा में आ गया है। ग्रामीणों के मौजूदा अधिकारों में कोई बदलाव नहीं होगा।इससे स्थानीय ग्रामीणों के लिए पर्यटन के माध्यम से नई नौकरियाँ पैदा होंगी, जिससे आर्थिक लाभ होगा। बाघ अभयारण्यों के निर्माण और भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बजट मिलने से वन्य जीवों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। इससे स्थानीय ग्रामीणों को ईको-टूरिज्म का लाभ मिलेगा। टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और भोपाल "टाइगर कैपिटल" के नाम से जाना जाएगा।