स्टोरी हाइलाइट्स
भोपाल: राजधानी से सटे बाघ मूवमेंट क्षेत्र 357 हेक्टेयर से अधिक रकबे को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी गई...
बाघ मूवमेंट क्षेत्र के 357 हेक्टर से अधिक छोटे-बड़े झाड़ के राजस्व जंगल संरक्षित वन क्षेत्र घोषित.. गणेश पाण्डेय
भोपाल: राजधानी से सटे बाघ मूवमेंट क्षेत्र 357 हेक्टेयर से अधिक रकबे को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी गई. अधिसूचना जारी होने के बाद छोटे-बड़े झाड़ के राजस्व जंगल का मालिकाना हक अब वन विभाग को मिल गया है. संरक्षित वन क्षेत्र घोषित हो जाने के बाद किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लग गया है. अतिक्रमण, उत्खनन अथवा सड़क निर्माण करने पर भारतीय वन अधिनियम की धारा 33 के तहत कार्रवाई की जा सकेगी.
भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 29 के तहत संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के लिए वन खंड मेंडोरा-मेंडोरी की करीब 111.500 हेक्टेयर रकबा और चंदनपुरा की 238.141 हेक्टेयर एरिया को शामिल किया गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल बेंच नई दिल्ली द्वारा 6 फरवरी 20 को पारित आदेश मुख्य वन संरक्षक भोपाल कार्यालय द्वारा पारित आदेश के अंतर्गत छोटे बड़े झाड़ के राजस्व जंगल को राजस्व विभाग ने वन विभाग को सुपुर्द कर दिया है. इस संबंध में 6 जुलाई को अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
इस इलाके में 18 से अधिक बाघों का मूवमेंट :
भोपाल के जंगल में 18 अन्य वयस्क बाघों का मूवमेंट है. ये बाघ जंगल और उससे सटी निजी भूमि में भ्रमण करते पाए जा चुके हैं. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) के नियमों के अनुसार बाघ भ्रमण वाले जंगल के आसपास निजी जमीन पर बिना अनुमति निर्माण नहीं कर सकते है. इसके अलावा जंगल से लगी निजी भूमि पर प्राकृतिक रूप से प्रति हेक्टेयर 200 से अधिक पेड़ हैं और बाघों का मूवमेंट भी हैं तो उसे उसे संरक्षित जंगल में शामिल किया जा सकता है. इतने बाघों के मूवमेंट के बावजूद न तो निजी जमीन को वन भूमि घोषित किया जा रहा है और न ही उस पर निर्माण कार्य करने के लिए विधिवत अनुमति ली जा रही है. यह बात एमओईएफ और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के संज्ञान में हैं, इसलिए फरवरी 2020 में सर्वे करने की बात कही थी. पहले सर्वे में कई नाम हैं अब फिर से सर्वे किए जा रहे हैं.