सावन सोमवार पर अपनों को भेजें शिवजी के ये खास मैसेजेस


स्टोरी हाइलाइट्स

हम आपको शिवजी के महाकाल, भोलेनाथ और अन्य स्वरूप से संबंधित खास मैसेजेस बता रहे हैं. दूसरे सावन सोमवार पर आप अपने  परिजनों , रिश्तेदारों, दोस्तों को भी ये मैसेजेस भेज सकते हैं.

भोपाल. सावन का आज दूसरा सोमवार है. सभी शिवभक्ति में डूबे हुए हैं. इस मौके पर हम आपको शिवजी के महाकाल, भोलेनाथ और अन्य स्वरूप से संबंधित खास मैसेजेस बता रहे हैं. दूसरे सावन सोमवार पर आप अपने  परिजनों , रिश्तेदारों, दोस्तों को भी ये मैसेजेस भेज सकते हैं.

जो शिव का भक्त हो जाता है वह फिर सभी भयों से मुक्त हो जाता है। अकाल मृत्यु उसके निकट भी नहीं आती है।  किसी भी प्रकार का संकट आने से पूर्व ही नष्ट हो जाता है। इसलिए महाकाल का सबसे पापुलर मैसेज है-

अकाल मृत्यु वह मरे, जो काम करे चंडाल का
काल उसका क्या करे, जो भक्त हो महाकाल का। 

सृष्टि के कर्ता-धर्ता स्वयं शिव शंकर हैं, महाकाल हैं।

कर्ता करे न कर सके, शिव करे सो होय
तीन लोक नौ खंड में, महाकाल से बड़ा न कोय। ।

सावन का महीना भोले के भक्तों के लिए बेहद पावन होता है। जो शिव शंकर का जलाभिषेक करता है, उसे भोले की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। वह भक्त अपने सभी मनोरथ को पूर्ण कर लेता है।

सावन का है महीना पावन
करे जो पूजा वर पावे मनभावन। 

शिवजी की पूजा विधि सरल है. वे एक लोटा जल और भांग.धतूरे आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं।  

भोले बाबा की पूजा सरल
करे जो पावे धन बुद्धि और बल। ।

शिव ही आदि हैं और शिव ही अनंत हैं। ऐसे सृष्टिकर्ता पालनहार हैं शिवशंकर जो सभी के आराध्य भगवान हैं।

तुम ही हो आदि तुम ही अनंत
सृष्टि के पालन रूप में, तुम ही हो भगवंत। ।

भगवान शिव शंकर के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान रहते हैं जो शीतलता प्रदान करता है। उनकी जटा से गंगा उत्पन्न हुई जिससे प्राणियों की प्यास बुझती है। ऐसे शिव शंकर का जलाभिषेक करने मात्र से भक्तों को पुण्य मिलता है।

मस्तक जिसके चंद्रमा  जटा से गंगा प्रकटाए
पुण्य फल मिले उसको  जो शिव पर जल चढ़ाए। ।

भगवान शिव में जगत का कल्याण करने की प्रतिबद्धता दिखती है। समुद्र मंथन में अनेक अद्भुत वस्तुएं निकलीं। अमृत का पान जहां देवताओं को कराया वहीं हलाहल यानि विष को स्वयं अपने कंठ में धारण कर लिया। 

मथ कर सागर देव अमृत पिलाये 
विष का प्याला सर माथे लगाए। ।

शिव की शक्ति और उनका आशीर्वाद उसको ही प्राप्त होता है जो अपने जीवन में सत्य को अपनाता है। 

जो प्राणी सत्य के मार्ग को अपनाता है 
वह अंत में मुझको प्राप्त करता है। ।

शिव वहीं मिलते हैं जहां शक्ति होती है।  जिस प्रकार भक्ति की प्राप्ति प्रेम के स्थान पर होती है। अर्थात शिव को ढूंढना है तो शक्ति की आराधना कीजिए।

जहाँ प्रेम वहां भक्ति है 
जहाँ शिव वहीं शक्ति है। ।