भोपाल: राज्य के कृषि विभाग के अंतर्गत कार्यरत एमपी मंडी बोर्ड के आयुक्त एम सेलवेन्द्रन ने नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि वह कृषि उपज मंडियों के भवनों से पहुंच मार्ग बनाने, स्ट्रीट लाईट लगाने एवं ड्रेनेज सिस्टम स्थापित करने पर सेवा प्रभार नहीं वसूल सकते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 259 कृषि उपज मंडियां एवं 298 उप मंडियां हैं।
दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग ने एमपी मंडी बोर्ड को पत्र लिख कर कहा था कि राजकोर्ट नगर निगम विरुध्द भारत संघ एवं अन्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवम्बर 2009 को आदेश दिया है कि शासकीय विभागों एवं संस्थाओं के भवनों पर नगरीय निकाय के सेवा प्रभार लगेंगे जिसका भुगतान करना होगा। इसके आधार पर मप्र में अनेक नगरीय निकायों ने कृषि उपज मंडियों को सेवा प्रभार के भुगतान के मांग-पत्र जारी कर दिये।
मंडी आयुक्त ने आयुक्त नगरीय प्रशासन को भेजे अपने ताजा पत्र में कहा है कि ऐसे मांग पत्रों में सेवा प्रभार/शुल्क की गणना का आधार, प्रदत्त सेवाओं का विवरण एवं समरुप सेवाओं हेतु निजी संपति पर लगने वाले प्रभार की दर आदि अंकित नहीं है।
एमपी मंडी एक्ट 1972 की धारा 9 में प्रावधान है कि मंडी प्रांगण, उपमंडी प्रांगण के लिये या मंडी बोर्ड के प्रयोजन के लिये उपयोग में लाये गये परिसरों के संबंध में यह नहीं समझा जायेगा कि ये यथास्थिति नगर निगम, नगर पालिका या नगर परिषद, अधिसूचित क्षेत्र, ग्राम पंचायत या विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की सीमाओं में सम्मिलित हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर 2008 को मंडी एक्ट 1972 की धारा 9 का उल्लेख करते हुये मंडी समितियों पर नगर निगम द्वारा सम्पत्तिकर के अधिरोपण संबंधी याचिका को खारित करते हुये मंडी समिति के पक्ष में निर्णय पारित किया है। इसलिये नगरीय प्रशासन आयुक्त नगरीय निकायों को निर्देश जारी करें कि वे कृषि उपज मंडियों पर किसी प्रकार का सेवा प्रभार/शुल्क अधिरोपित नहीं करें।