शरद पूर्णिमा का त्यौहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
इस त्यौहार को भक्त और भी अधिक उत्साह के साथ मनाते हैं। साथ ही शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें।। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने का विधान है।
धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कार्यों में आने वाली बाधाओं से भी राहत मिलती है ऐसा माना जाता है कि इन शुभ कार्यों को करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति आती है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, जिसे अमृत काल कहा जाता है। इसलिए, इस त्योहार की रात को खीर को चांदनी में रखा जाता है (शरद पूर्णिमा की खीर के समय) और अगले दिन खाया जाता है। इससे व्यक्ति का भाग्य बढ़ता है। क्या आप जानते हैं शरद पूर्णिमा का त्योहार कब और क्यों मनाया जाता है? चलिए हम बताते हैं।
यही कारण है-
पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत बरसाती हैं। इसलिए पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है। इसके सेवन से साधक को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा इस दिन दीपक जलाने से जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इन सभी कारणों से शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
शरद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ समय
पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी। वहीं यह तिथि अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम 04:55 बजे समाप्त होगी। ऐसे में शरद पूर्णिमा का त्योहार 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा शाम 05 बजकर 05 मिनट पर उदय होगा।
शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:42 बजे से प्रातः 05:32 बजे तक
विजय मुहूर्त- 02:01 PM से 02:47 PM तक
गोधूलि बेला का समय - शाम 05:50 से 06:15 बजे तक
निशिता मुहूर्त- 17 अक्टूबर रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक