Shardiya Navratri 2024 Day 5: शारदीय नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। नौ दिवसीय इस उत्सव के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार वह भगवान स्कंद की माता थीं, इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
देवी स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है क्योंकि यह शांति और खुशी का प्रतीक है। मातृत्व का यह रूप शांति और खुशी का एहसास कराता है। मां की पूजा करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसके अलावा पूजा-पाठ मोक्ष का द्वार भी खोलता है। आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप और पूजा विधि के बारे में।
पंचमी तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पंचमी तिथि सोमवार, 7 अक्टूबर को सुबह 09:47 बजे से मंगलवार, 8 अक्टूबर को सुबह 11:17 बजे तक रहेगी।
कैसा है माँ का स्वरूप?
इस स्वरूप में मां दुर्गा कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका गोचर सिंह है। इस रूप में मां की चार भुजाएं हैं जिनमें से उनकी गोद के ऊपरी दाहिने हाथ में भगवान स्कंद विराजमान हैं। नीचे वाले दाहिने हाथ में कमल का पुष्प है। बायीं ओर का ऊपरी हाथ वरमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है।
इस विधि से करें पूजा
स्कंदमाता के इस रूप की पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले उस स्थान पर मां की एक तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए जहां आपने कलश रखा है। इसके बाद देवी मां को फूल चढ़ाए जाते हैं, इसके बाद फल और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं।
धूप और घी का दीपक जलाएं और मां की आरती करें। कहा जाता है कि इस तरह से पूजा करना बहुत शुभ होता है और देवी मां का आशीर्वाद मिलता है।
भोग में क्या चढ़ाएं?
नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
देवी स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया । शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं। हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥