Shardiya Navratri 2024 Day 7: मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा-आराधना


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स्टोरी हाइलाइट्स

Shardiya Navratri 2024 Day 7: माता को प्रसन्न करने के लिए गुड़ से बने व्यंजन का लगाएं भोग..!!

Shardiya Navratri 2024 Day 7: शारदीय नवरात्रि का त्यौहार अब बस समाप्ति की ओर है। 3 अक्टूबर से शुरू हुए नवरात्रि उत्सव में 8 अक्टूबर को षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा शुरू हो गई है। 9 अक्टूबर 2024 को महासप्तमी मनाई जा रही है। नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा करने की परंपरा है। 

मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि पड़ा। साथ ही यह देवी अपने भक्तों को सदैव शुभ फल देती हैं। इसी कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से भय और रोग का नाश होता है। साथ ही भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, कष्ट आदि सभी समस्याओं का अंत हो जाता है।

इसी वजह से अगर आप चाहते हैं कि आपकी सभी परेशानियां खत्म हो जाएं और आपके शत्रु परास्त हो जाएं तो आपको मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए।

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि तीन आंखों वाली देवी हैं। रक्तबीज राक्षस का वध करने वाली मां कालरात्रि का रंग गहरे अंधकार के समान काला है। सिर पर बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने वाली मुंडों की माला है। माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ है।

शुभ महासप्तमी

दुर्गा पूजा की शुरुआत नवरात्रि के छठे दिन से होती है। शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि को महा सप्तमी भी कहा जाता है। इसे दुर्गा सप्तमी भी कहा जा सकता है। मां कालरात्रि की पूजा से भय और रोग का भी नाश होता है। ऐसे में हर कोई माता रानी के इस रूप को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ करता है।

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें गुड़ और गुड़ से बने पकवानों का भोग लगा सकते हैं। मां कालरात्रि को गुड़ की चिक्की का भोग भी लगाया जा सकता है।

मां कालरात्रि का बीज मंत्र

नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की उपासना के लिए बीज मंत्र का जाप करें। साथ ही ये मंत्र अपने परिजनों को भी बताएं ताकि वह भी इस मंत्र के जाप के साथ दिन की शुरुआत कर सकें।

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

माता कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली काल के मुंह से बचाने वाली दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतारा पृथ्वी और आकाश पर सारा महाकाली है तेरा पसारा।

खंडा खप्पर रखने वाली दुष्टों का लहू चखने वाली कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा सभी देवता सब नर नारी गावे।

स्तुति सभी तुम्हारी रक्तदंता और अन्नपूर्णा कृपा करे, तो कोई भी दुख ना ना कोई चिंता रहे।

ना बीमारी ना कोई गम ना संकट भारी उस पर कभी कष्ट ना आवे।

महाकाली मां जिसे बचावे तू भी 'भक्त' प्रेम से कह कालरात्रि मां तेरी जय।