शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू हो गए हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विशेष पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक चलती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान शुरू होता है। नवरात्रि के पहले दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
नवरात्रि पर क्या न करें
1-नवरात्रि पर सात्विक भोजन बनाना चाहिए
2-नवरात्रि के दौरान मांसाहारी भोजन, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए
3- अगर आपने अपने घर में नवरात्रि के दौरान कलश की स्थापना की है तो आपको घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए
4-नवरात्रि पर दाढ़ी, नाखून और बाल नहीं कटवाने चाहिए
5-नवरात्रि पर किसी भी प्रकार की अनावश्यक चर्चा नहीं करनी चाहिए
नवरात्रि 2024: नवरात्रि पर क्या करें?
नवरात्रि पर नियमित रूप से अखंड ज्योति जलाएं
प्रतिदिन देवी मां को जल अर्पित करें
नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन मंदिर जाएं
नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा और श्रृंगार करें
नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखें
अष्टमी-नवमा तिथि पर विशेष पूजा और कन्या पूजन करें
ब्रह्मचर्य का पालन करें
दुर्गा सप्तशती पाठ: नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व
नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है। दुर्गा सप्तशती का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। मां शक्ति की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती को सर्वोत्तम ग्रंथ माना जाता है। इसमें 700 श्लोक और 13 अध्याय हैं।
1. प्रथम अध्याय: इस अध्याय में मधु कैटभ द्वारा मेधा ऋषि राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा का वर्णन करने का उल्लेख है।
2. दूसरा अध्याय: दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय में देवताओं के तेज से माता के स्वरूप और महिषासुर की सेना का विनाश बताया गया है।
3. तृतीय अध्याय: इस अध्याय में माता दुर्गा द्वारा सेनापतियों सहित महिषासुर का वध।
4. चतुर्थ अध्याय: इन्द्र सहित सभी देवी-देवताओं द्वारा माता की स्तुति
5. पांचवां अध्याय: चंड-मुंड के मुख से देवी और अंबिका के रूप की स्तुति सुनकर शुंभ उनके पास एक दूत भेजता है और फिर दूत निराश होकर लौट जाता है
6. छठा अध्याय: धूम्रलोचन-वध
7. अध्याय सात: चंड-मुंड का वध
8. अध्याय आठ: रक्तबीज के वध का वर्णन
9. नौवां अध्याय: विशुम्भ का वध
10. अध्याय दस: शुंभ का वध
11. एकादश अध्याय: सभी को मारने के बाद देवता देवी की स्तुति करते हैं और फिर देवी देवताओं को वरदान देती हैं।
12. बारहवाँ अध्याय: देवी-चरित्र के पाठ का महत्व
13. त्रयोदश अध्याय: सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना पूजा सामग्री: कलश स्थापना पूजा सामग्री
7 प्रकार के अनाज, मिट्टी के बर्तन, मिट्टी कलश, गंगाजल, आम, अशोक या पान के पत्ते, पान सुपारी, धागा, पतुरिया, एक नारियल, माँ की चुनरी, अखंड, केसर, कुमकुम, साफ लाल कपड़ा, फूलों की माला।
अंबे जी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥