घर-आंगन से गायब होती गौरैया, जानें कारण, थीम और इन्हें बचाने के आसान उपाय


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स्टोरी हाइलाइट्स

World Sparrow Day 2025: कभी भारतीय घरों और आंगनों में आम तौर पर दिखाई देने वाली गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है, शहरीकरण और वनों की कटाई ने उनके घोंसले बनाने के स्थानों को सीमित कर दिया है..!!

World Sparrow Day 2025: गौरैया जो कभी हमारे घरों की खिड़कियों, आंगन और बगीचों में चहचहाती थीं, वे अब उन्हें देख पाना ही दुर्लभ होता जा रहा है। यह नन्हा पक्षी न केवल हमारे बचपन का हिस्सा था, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

तेजी से हो रहे शहरीकरण, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेज और आधुनिक इमारतों के डिजाइन के कारण इनका अस्तित्व खतरे में है। आज स्थिति यह है कि कई शहरों में गौरैया लगभग विलुप्त हो चुकी है। इस संकट को देखते हुए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।

ताकि लोगों को इस नन्हे पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सकता है। यदि हमने इसे बचाने के लिए अभी प्रयास नहीं किए तो आने वाली पीढ़ियां इस खूबसूरत पक्षी को केवल किताबों और चित्रों में ही देख पाएंगी।

कभी हर गली और मोहल्ले में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है। इसके पीछे कई मुख्य कारण हैं:

शहरीकरण और वृक्षों की कटाई - नए निर्माण कार्यों के कारण गौरैया के घोंसले के स्थान नष्ट हो रहे हैं।

विकिरण एवं प्रदूषण - मोबाइल टावरों से निकलने वाला विकिरण गौरैया की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

भोजन की कमी - कीटनाशकों और रसायनों के बढ़ते उपयोग से कीड़ों की संख्या में कमी आई है, जो गौरैया के भोजन का मुख्य स्रोत हैं।

आधुनिक वास्तुकला - पुराने घर के डिजाइन में दरारें और कोने थे जहां गौरैया घोंसले बना सकती थीं। लेकिन अब नए घरों में ऐसी जगह नहीं होती।

जलवायु परिवर्तन - बढ़ता तापमान और मौसम की अनियमितताएं भी उनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।

गौरैया सिर्फ एक पक्षी नहीं बल्कि हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यदि यह पूरी तरह विलुप्त हो गया तो इसका असर न केवल प्रकृति पर पड़ेगा बल्कि मानव जीवन पर भी पड़ेगा।

गौरैया के संरक्षण के लिए हम कुछ छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं:

पक्षियों के लिए भोजन और पानी रखें - अपने घर की बालकनी या बगीचे में पानी और अनाज के कटोरे रखें।

घोंसले बनाने के लिए स्थान उपलब्ध कराएं - घोंसले बनाने के लिए छोटे लकड़ी के घरों या पुराने बक्सों का उपयोग करें।

कम कीटनाशकों का प्रयोग करें - जैविक खेती अपनाकर गौरैया के भोजन स्रोत को संरक्षित किया जा सकता है।

पेड़ लगायें – विशेष रूप से देशी पेड़, जो कीटों को आकर्षित करते हैं और गौरैया के लिए लाभदायक होते हैं।

जागरूकता फैलाएं - बच्चों और समाज के बीच गौरैया संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।

साल 2025 के लिए विश्व गौरैया दिवस की थीम  "A Tribute to Nature’s Tiny Messengers"  है। यह थीम हमारे जीवन में गौरैया के योगदान पर प्रकाश डालती है तथा उनके संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने का संदेश भी देती है।