MP Bhopal News: मध्य प्रदेश में बसों के लिए अस्थायी परमिट जारी होने शुरू हो गए हैं, जिसकी शुरुआत भोपाल से हो गई है। पिछले महीने भोपाल में निजी बस ऑपरेटरों ने हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इसके बाद भोपाल में अधिकतम चार माह के लिए अस्थायी बस परमिट जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भोपाल आरटीओ प्रभारी जितेंद्र शर्मा का कहना है कि नियमानुसार कुछ बस मालिकों को अस्थायी परमिट दिए गए हैं।
हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के एक महीने बाद निजी बसों के लिए अस्थायी परमिट जारी करने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत भोपाल से हुई। बताया जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश भर के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय विभिन्न रूटों के लिए बस संचालन हेतु अस्थायी परमिट जारी करना शुरू कर देंगे।
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के आदेश के चलते एक जनवरी 2025 के बाद बसों के लिए अस्थाई परमिट जारी नहीं किए जा रहे हैं। जिसके कारण प्रदेश भर में चार हजार बसों के पहिए थम गए। ये वे बसें थीं जिन्हें इस आधार पर अस्थायी अनुमति दी गई थी कि विभिन्न मार्गों पर पर्याप्त बसें नहीं थीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि अस्थायी परमिट व्यवस्था मनमानी है। कानून के तहत केवल संभागीय परिवहन उपायुक्त को ही ऐसे परमिट जारी करने का अधिकार है।राज्य में कोई उप परिवहन आयुक्त नहीं था, इसलिए नए परमिट जारी करना बंद हो गया था। परमिट बंद होने से कई रूटों पर यात्रियों को पर्याप्त संख्या में बसें नहीं मिल पा रही थीं। वहीं, बस संचालकों को शादी-ब्याह, मांगलिक कार्य, महाकुंभ व अन्य स्थानों पर लोगों को ले जाने की अनुमति नहीं मिल पा रही है।
परिवहन आयुक्त के मौखिक निर्देश पर भोपाल आरटीओ द्वारा कुछ परमिट भी जारी किए गए हैं। अगले कुछ दिनों में राज्य के अन्य क्षेत्रीय एवं जिला परिवहन कार्यालयों में भी अस्थायी परमिट जारी करने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। इससे विभिन्न रूटों पर बंद की गई अस्थायी परमिट पर चलने वाली 25 प्रतिशत बसें फिर से सड़कों पर दौड़ने लगेंगी। इससे यात्रियों की समस्याएं हल हो जाएंगी।
राज्य में 13 हजार बसें अस्थायी परमिट पर हैं। मध्य प्रदेश प्राइम रूट बस एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 37 हजार से अधिक यात्री बसें हैं, जो विभिन्न रूटों पर चल रही हैं। इनमें से 13,000 बसें अस्थायी परमिट पर चल रही हैं। एक जनवरी से अस्थायी परमिट न मिलने के कारण जिन बसों के परमिट समाप्त हो गए थे, उनका संचालन बंद कर दिया गया।
बस एसोसिएशन के अनुसार, अस्थायी परमिट के लिए प्रति सीट, प्रति किलोमीटर 200 रुपये का टैक्स देना होगा। इस दर से बस परमिट शुल्क 24 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह होता है।