सीधी डीएफओ की जिद के आगे विभाग की एक बार फिर हुई किरकिरी


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स्टोरी हाइलाइट्स

अब उच्च न्यायालय जबलपुर ने किया पिटीशन खारिज..!!

भोपाल: उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने तत्कालीन डीएफओ क्षितिज कुमार की कुछ याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने सीधी के तृतीय व्यवहार न्यायाधीश नृपेंद्र सिंह परिहार ने सीधी डीएफओ क्षितिज कुमार की बेदखली की कार्यवाही को विधि विरुद्ध बताते हुए शून्य घोषित किया जाने पर  हाई कोर्ट जबलपुर में चुनौती दी थी।

प्रतिवादी कृष्णमणि तिवारी के वकील ने दलील दी कि चूंकि सिविल मुकदमे का फैसला ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले ही ख़ारिज किया जा चुका है, इसलिए यह याचिका निष्फल हो जाती है। तदनुसार, इस याचिका को निष्फल मानते हुए खारिज किया जाता है। इसके पहले सीधी के तृतीय व्यवहार न्यायाधीश नृपेंद्र सिंह परिहार ने बेदखली कार्रवाई को विधि विरुद्ध बताते हुए  शून्य घोषित कर दिया। यही नहीं, न्यायालय मुकदमे का खर्चा भी डीएफओ को वहन करने का फैसला दिया था।

क्या था पूर्व फैसला..

सीधी वन मंडल के अंतर्गत चुरहट रेंज के झूमर वन खंड के कक्ष क्रमांक- पी-992 के अंतर्गत फॉरेस्ट के मुनारों से बाहर बने कृष्णमणि तिवारी विरुद्ध वन विभाग मामले की सुनवाई करते हुए तृतीय व्यवहार न्यायाधीश परिहार ने अपने फैसले में कहा है कि वादी को कोई सूचना दिए वगैर वन भूमि के रूप में दर्ज कर दिया, जबकि वादी के पिता अथवा वादी को विधिवत सुनवाई का अवसर दिए जाने के पश्चात भूमि की नवैयत का परिवर्तन किया जा सकता था। 

उक्त पूरी कार्यवाही विधि विरुद्ध होने से शून्य है व वादी को भूमि स्वामी के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया जाना चाहिए। यह कि झूमर तहसील चुरहट तत्कालीन तहसील गोपबदबनास जिला सीधी म.प्र. स्थित भूमि खसरा क. 3/2 रकवा 4.00 एकड अधिकार अभिलेख से परिवर्तित आराजी नंबर 02 म.प्र. के संबंध में वादी का आधिपत्य होना घोषित किया जाता है।  

फैसले में यह कि झूमर तहसील चुरहट तत्कालीन तहसील गोपदबनास जिला सीधी म.प्र. स्थित भूमि खसरा क. 3/2 रकवा 4.00 एकड अधिकार अभिलेख से परिवर्तित आराजी नंबर 02 के संबंध में प्रतिवादी क्रमांक -एक डीएफओ को आदेशित किया जाता है कि वे वादी के आधिपत्य में हस्तक्षेप न स्वयं करें अथवा करावे। न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि प्रतिवादी क्रमांक. 01 यानि डीएफओ को आदेशित किया जाता है कि वह स्वयं का तथा वादी का भी वाद व्यय वहन करेगा।

क्या अब डीएफओ पर होगी कार्रवाई..?

न्यायालय में लंबित मामले पर विधानसभा में भी बहस नहीं होती है पर सीधी डीएफओ ने मामला न्यायालय में विचाराधीन होते हुए भी 80 ए के विरुद्ध आदेश पारित किया था। इसी मामले पर कार्यवाही मध्य प्रदेश शासन अपर सचिव अपर सचिव के यहां विचाराधीन है। 

यही नहीं, न्यायालय में प्रकरण लंबित रहने के कारण जब एसडीओ विद्या भूषण मिश्रा ने डीएफओ के हुक्म पर कार्यवाही करने से इनकार किया तो उसे निलंबित कर दिया गया था। इसी कारण अब न्यायालय के फैसले आने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि सीधी डीएफओ क्षितिज कुमार के खिलाफ एक्शन होगा कि नहीं। उल्लेखनीय है कि मिश्रा ने 11 अक्टूबर 2022 को सीधी में ज्वाइन किया था। जबकि पूरा प्रकरण उनके ज्वाइन करने के लगभग 3 वर्ष पहले का है।

जीपीएस रीडिंग और पंचनामे के तहत वन भूमि के बाहर है मकान..

जिला न्यायालय के निर्देश के बाद सीसीएफ रीवा ने एसडीओ विद्याभूषण मिश्रा को मौका-मुआयना करने का फरमान जारी किया। 5 रेंजर और सरपंचों के साथ एसडीओ मिश्रा ने जीपीएस से रीडिंग कर पंचनामा तैयार किया जिसमें यह पाया कि कृष्णमणि तिवारी का मकान वन भूमि की मुनारो से 30-40 फीट दूरी पर बना है। झूमर गांव चुरहट के कृष्ण मणि तिवारी का कहना है कि  डीएफओ ने जानबूझकर मेरे खिलाफ राग द्वेष की भावना से प्रकरण दर्ज किया है।