राष्ट्र निर्माण की बुनियाद- वृद्धजन


स्टोरी हाइलाइट्स

वृद्धजनों के अधिकार..! 

आज़ादी का अमृत महोत्सव देश मना रहा है। उत्साह है- उमंग है स्वतंत्र भारत में। इसके साथ ही अवसर है आज़ादी में और बाद के कालखंड में राष्ट्र निर्माण योगदान करने वाली पीढ़ी को स्मरण करने का। आज भारत युवाओं का देश है। विश्व में सबसे संभावना शील देशों में अग्रणी है। इसके पीछे भारत की तपोनिष्ठ और समर्पित बुजुर्ग पीढ़ी का अतुलनीय योगदान रहा है।

देश के नीतिनिर्माताओं और केंद्र तथा राज्य सरकारों ने वृद्धजनों की अहमियत को रेखांकित करते हुए विभिन्न योजनाओं और हितसाधक कानूनों का प्रावधान किया है। देश की जनगणना 2001 में लगभग 7.7 प्रतिशत बुजुर्ग (60 वर्ष +) चिन्हित हुए जो बढ़कर लगभग 9 प्रतिशत तक पहुंच रहे हैं।

कोई 11 करोड़ से अधिक बुजुर्गों की संख्या संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के आकलन मुताबिक 2060-61 तक बढ़कर 43 करोड़ से अधिक संभावित है। इस पीढ़ी के योगदान और महत्व को ध्यान में रखते हुए इनकी चिंता की जा रही है। इनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और संपत्ति के बारे में सरकारों द्वारा बदलाव और सुधार किये गए हैं।

विभिन्न स्तरों पर प्रचार-प्रसार के बाद भी बहुसंख्य वृद्धजनों को अपने अधिकारों के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। इस कारण विभिन्न क्षेत्रों से प्रताड़ना, भरणपोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि के मामले सामने आते हैं।

भारत ने तो सन 2000 को राष्ट्रीय वृद्धजन वर्ष रूप में मनाया। अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस प्रति वर्ष होता है। समय समय पर सरकारों द्वारा बुजुर्गों के हितों को ध्यान में रखकर प्रावधानों और कानूनों को लागू किया है। जनवरी 1999 में केंद्र सरकार ने वृद्ध जनों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के माध्यम से राष्ट्रीय परिषद ( NCOP ) गठित की।

बुजुर्गों के अधिकार को मानव अधिकारों से जोड़ा गया। अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों युनाइटेड नेशन्स (UNO) ने 1982 वियेना में वृद्ध जनों के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक, नागरिक और राजनीतिक अधिकार पुरुषों व महिलाओं के लिए प्रावधानों को जोड़ते हुए अंगीकार किया। 

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर में छूट मिलती है। प्रधानमंत्री वय वंदन योजना में आरम्भिक निवेश से जीवन पर्यन्त पेंशन मील सकती है। यह एल आई सी से संचालित है।

केंद्र द्वारा 2007 में वरिष्ठ जन के लिए भरणपोषण अधिनियम लागू किया, सन 2009 में इसे मध्यप्रदेश में लागू किया। इसके अंतर्गत बुजुर्गों को ठुकराने , माता पिता , विधवा आदि को राहत और सुरक्षा मिलेगी।

सरकारी कर्मचारी-अधिकारी द्वारा ऐसा कृत्य सामने आता है तो दण्डनीय अपराध मान वेतन में कटौती कर संबंधित बुजुर्ग को भरणपोषण राशि मिलेगी।

सामाजिक सुरक्षा, सामुहिक बीमा, स्वास्थ्य देखभाल, अन्य योजनाओं का लाभ बुजुर्गों को मिलना राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत से जोड़ दिया है। कानूनी प्रावधानों में व्यक्तिगत कानून, हिंदु कानून, मुस्लिम कानून, ईसाई, पारसी कानून के अनुसार अधिकार मिले हैं।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 में पहली बार भरणपोषण अधिकार प्रस्तुत हुआ। मजिस्ट्रेट के आदेश से सजा का भी प्रावधान है। भरणपोषण न्यायाधिकरण के मामले का निपटान 90 दिनों में करना जरुरी है। मध्यप्रदेश में विधिक सहायता प्राधिकरण जिला स्तर पर प्रचलित हैं इसके माध्यम से जागरूकता प्रयास तो है हीं निःशुल्क विधिक सहायता पीड़ितों को उपलब्ध कराई जाती है।

प्रताड़ना के मामले, दुर्व्यवहार के मामले , पारिवारिक झगड़े के मामले परिवार परामर्श केंद्र के माध्यम से कॉउंसलिंग कर निपटाए जासकते हैं।

जीवन में चुनौती बनी रहती है। व्यस्तता भरे कार्यकाल में 50 वर्ष उपरांत समाज और सामाजिक विकास में भागीदारी के साथ सुरक्षित और स्वस्थ जीवन की अपेक्षा करते हैं।

वरिष्ठ जनों को ऐसा वातावरण मिले ताकि वे शांतिपूर्वक, रचनात्मक और संतोषजनक ढंग से शेष जीवन व्यतीत कर सके वृद्धावस्था पेंशन , स्वास्थ्य सुविधाएं , रेल , बस और हवाई यात्रा में छूट, सामाजिक सुरक्षा, आयुष्मान चिकित्सा योजना, निवेश पर अतिरिक्त लाभ, सार्वजनिक और सरकारी स्थानों पर पृथक काउंटर, विभिन्न स्तरों और स्थानों पर प्राथमिकता, सरकारी क्षेत्र के पेंशनरों का बैंक सत्यापन, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू महंगाई भत्ते का लाभ, निजी क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के लोगों, श्रमिकों, कामगारों को शासन की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आदि कई बिंदु हैं जो वृद्धजनों के अधिकार में शामिल हैं। उनके लाभ जागरूक रहकर उठा सकते हैं। 

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के माध्यम से संसाधन और सुविधाओं को प्रदान किया जाता है। यह बुजुर्गों और गरीब, कमजोर तथा दिव्यांगों के अधिकार भी हैं। इसके लाभ लेसकते हैं। 

इन विभागों द्वारा, जिला स्तर पर, स्वयं सेवी संगठन, रेडक्रॉस सोसायटी, वृद्ध जन सेवा केन्द्र, स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, वृद्ध जन हेल्पिंग सेंटर, डे केयर सेंटर आदि चलाये जा रहे हैं। बुजुर्ग इन सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। 

इसके लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं चुकाना होगी। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग भी कई मामलों पर स्वतः संज्ञान लेकर पीड़ितों की मदद कर अधिकार दिलाने में बड़ी भूमिका निर्वहन कर रहा है। 

1947 में देश स्वतंत्र हुआ। इसके पहले नागरिकों ने आज़ादी के लिए संघर्ष किया। तत्कालीन और बाद की पीढ़ी ने राष्ट्र निर्माण और विकास में योगदान किया। यह समाज का खजाना है। जीवन के उत्तरार्द्ध में बुजुर्गों की देखरेख विशेष हो। यह उन्हें महसूस होना चाहिए। क्योंकि उनके योगदान, कठिन परिश्रम और समर्पण से मजबूत राष्ट्र की नींव पड़ी। उनके त्याग और अनुभव की विशेषता से देश समृद्धि की ओर अग्रसर है।

60 - 65 वर्ष आयु के महिला - पुरुषों में शारिरिक , मानसिक और आर्थिक रूप से कमी आती है, कई लोगों को अल्जाइमर, डिमेंशिया, रक्तचाप, शुगर, हार्ट संबंधित रोग घेर लेते हैं। तब आवश्यक है सम्बल देना जो उनके अधिकार है। यह परिवार की, समाज की, सरकार की जिम्मेदारी है। विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रही पीढ़ी के अनुभवों को सहेजते हुए उनके ज्ञान का लाभ युवा पीढ़ी लें।

किसी ने सच लिखा है-- ये वृद्ध-बुजुर्ग नमन तुम्हें, तू भारत की शान है, मेरा भारत महान है।

~~ "डॉ. घनश्याम बटवाल" वरिष्ठ पत्रकार/लेखक (मंदसौर)