भोपाल: प्रदेश में सुशासन का दावा करने वाली राज्य सरकार बीते डेढ़ दशक में गठित विभिन्न जांच आयोग की समय सीमा अवधि बीत जाने के बाद भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई है। हाल ही में संपन्न राज्य के विधानसभा सत्र में यह खुलासा हुआ है।
राज्य सरकार वर्ष 2010 से अब गठित जांच आयोगों में से छह आयोगों की रिपोर्ट अब तक विधानसभा में पेश नहीं कर पाई है। इनमें जिला भिण्ड गोली चालन घटना न्यायिक जांच आयोग 12 जुलाई 2012 को गठित हुआ और इसकी रिपोर्ट 31 दिसम्बर 2017 को सरकार को प्राप्त हुई।
गोसपुरा नंबर 2 मान मंदिर ग्वालियर की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु जांच आयोग 17 अगस्त 2015 को गठित हुआ और इसकी रिपोर्ट सरकार को 9 जनवरी 2017 को प्राप्त हुई। पेटलावद जिला झाबुआ में हुये विस्फोट घटना जांच आयोग 15 सितम्बर 2015 को गठित हुआ और इसकी रिपोर्ट 11 दिसम्बर 2015 को सरकार को प्राप्त हुई।
मंदसौर में घटित घटना जांच आयोग 12 जून 2017 को गठित हुआ और इसकी जांच रिपोर्ट 11 जून 2018 को सरकार को प्राप्त हुई। इन चारों रिपोर्ट पर गृह विभाग में कार्यवाही प्रचलित है।
इसी प्रकार, सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं राष्ट्रीय वृध्दावस्था पेंशन की अनियमितताओं की जांच हेतु 8 फरवरी 2008 को जांच आयोग गठित किया गया जिसकी रिपोर्ट सरकार को 15 सितम्बर 2012 को प्राप्त हुई और रिपोर्ट पर सामाजिक न्याय विभाग में कार्यवाही प्रचलित है।
भोपाल यूनियन कार्बाइड जहरीली गैस रिसाव जांच आयोग 25 अगस्त 2010 को गठित हुआ और इसकी रिपोर्ट सरकार को 24 फरवरी 2015 को प्राप्त हुई तथा इस रिपोर्ट पर गैस राहत विभाग में कार्यवाही प्रचलित है।
वर्तमान में 9 अगस्त 2022 को गठित लटेरी गोली काण्ड जांच आयोग की रिपोर्ट अब तक सरकार को प्राप्त नहीं हुई है। मजेदार बात यह है कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के तहत रिपोर्ट प्राप्त होने के छह माह के अंदर उस पर कार्यवाही कर उसका प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रखना जरुरी है, लेकिन इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग का तर्क है कि जांच आयोगों की प्राप्त रिपोर्ट्स के बिन्दु संबंधित विभागों में परीक्षणाधीन हैं, इसलिये इन्हें विधानसभा में नहीं रखा गया है।