बुढ़ापे की आहट!! ये ढलती साँझ नही .....एक नयी शुरुआत है?
स्टोरी हाइलाइट्स
अतुल विनोद
बुढ़ापा यानी जीवन की ढलती सांझ| मनुष्य पैदा होते से ही बुढ़ापे की यात्रा पर निकल पड़ता है| बुढ़ापा जीवन की परिणति है, जीवन की समाप्ति नहीं है| जीवन तो तब तक चलता है जब तक शरीर में प्राण मौजूद है, आप जीवित हैं तो यकीन मानिए आपके जीवन का लक्ष्य अभी खत्म नहीं हुआ है| बढ़ती उम्र से हताश होने की जरूरत नहीं है| हर क्षण कुछ नया करने के लिए मिला हुआ है| एक उद्देश्यपूर्ण जीवन सिर्फ 50 साल तक नहीं चलता, ये उदेश्य तो अंतिम साँस तक आपसे जुड़ा हुआ है|
जीवन के तीसरे और चौथे चरण में कई आयाम छिपे हुए हैं| बाल उड़ जाने और चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाने का मतलब ये है कि अब बाहर की सजावट का दौर गया| देखने दिखाने का समय निकल चुका है| अब अंदर झांकने की बारी है| शोर-शराबे और बनावट की व्यवस्था परमात्मा ने प्राकृतिक रूप से बंद कर दी है| अब आईने में चेहरा निहारने की बजाय अध्यात्म के दर्पण में आत्मा के दर्शन की बारी आ गई है|
अभी उम्मीद है ज़िन्दा अभी इम्कान बाक़ी है|
बुलंदी पर पहुँचने का अभी अरमान बाक़ी है||
जीवन का यह आखिरी दौर सिर्फ आराम करने या मृत्यु के इंतजार के लिए नहीं है| जितना भी वक्त है, बहुत महत्वपूर्ण है| उस वक्त में जो जिंदगी की भाग दौड़ में नहीं पाया जा सका वह पाया जा सकता है|
सोचा तो था कि जब काम से फुर्सत मिलेगी, जिम्मेदारियों के बोझ से राहत मिलेगी तब ये करूंगा, वो करूंगा, लेकिन अब वो समय आ गया है तो नए बहाने? अब हम वो क्यों नहीं करते जिसके बारे में सोच रखा था?
जवानी निकल गई, प्रौढ़ अवस्था निकल गई | अब बेफिजूल की जिम्मेदारियां लेकर खुद को संसार में उलझाने की जरूरत क्या है? अपने आप को सक्रिय दिखाने के लिए फिर से किसी नए काम में जुट जाने की आवश्यकता क्या है?
अब तो स्वर्णिम दौर आया है| यदि दो वक्त की रोजी-रोटी की व्यवस्था है, तो फिर नए काम को स्वीकार करने से पहले कुछ बातें सोच ले| शरीर पर बाहरी प्लास्टर तो बहुत किये, कपड़े भी बहुत खरीदे, मेकअप भी खूब करवाया लेकिन क्या शरीर को जवां रख पाए?
कहाँ ले चल दिए हो तुम उठा कर चार कांधों पर|
अभी तो दिल धड़कता है अभी कुछ जान बाक़ी है||
हो सकता है कि नए काम से दो चार साल और गुजर जायें लेकिन कभी तो फिर खाली हो जायेंगे| जब कामों से हट जायेंगे या हटा दिए जायेंगे, तो शायद आत्म-उत्थान के लायक ही ना बचें|
यह तो अवसर है रूपांतरण का|
यह तो अवसर है नए जीवन की तैयारी की शुरुआत का|
यह तो अवसर है जीवन की भटकी हुई राहों से हटकर लक्ष्य की तरफ बढ़ती राह पकड़ने का|
यह तो अवसर है अपने दृष्टिकोण को बदलने का|
यह तो अवसर है अपनी पूछ घटाकर संसार की उठापटक से दूर होने का|
यह तो अवसर है अपने अंदर झांकने का|
यह तो मौका है सूर्य की धूप में बैठकर कुछ सोचने का|
सब कुछ छूटने का समय करीब है तो फिर उसको पकड़ कर रखने की चिंता क्या है? कोई पूछे न पूछे क्या फर्क पड़ता है? बेटे, बहु, नाती, पोतों की कितनी चिंता? वे अपना भाग्य लेकर आये हैं|
सिर्फ उतना अपने पास रखें जिससे आपकी बाकी बची जिंदगी अभाव में न गुजरे|
आत्म-अन्वेषण, सत्य की खोज ,सूक्ष्म और कारण शरीर का विकास, भक्ति, स्वाध्याय और सेवा का मार्ग, परमात्मा का अनुग्रह, आध्यात्मिक शक्तियों और क्षमता का प्रत्यक्षीकरण, व्यवहार में आमूलचूल परिवर्तन, चरित्र को शिष्ट और समुन्नत बनाने की प्रक्रिया का आरंभ, विचारों, प्रेरणा और संकल्प से खुद को परिवर्तित करने की चाह|
आलोचना घृणा हिंसा निंदा से दूर रहने की कोशिश, ज्ञान के असली स्रोत को तलाशने का प्रयास, आनंद में डूबने का अवसर, शांति और बंधुत्व का आलोक, अंतर ज्योति को आच्छादित करने वाले आवरणों का अनावरण|
दैविक स्फुरण का एहसास, हृदय की शुद्धता की यात्रा, मन और मस्तिष्क के शुद्धिकरण का यज्ञ, सत्य निष्ठा सद्गुण और विश्वास का प्रादुर्भाव, अंतर्निहित देवत्व का प्रस्फुटन , अपने जीवनअनुभव के अमृत से नई पीढी और समाज का सिंचन|
हासिल किया जितना वह तो बस झांकी है | उम्मीद भरे हौंसलों कि उड़ान अभी बाकी है ||
जमीन तो अपना ली, आसमान अभी बाकी है | उम्मीद भरे हौंसलों कि उड़ान अभी बाकी है ||
इतना सब कुछ बाकी है अभी? अभी तो जीवन का असली योग बाकी है? अनेक लक्ष्य हैं और इन लक्ष्यों का मार्ग योग से होकर जाता है| योग के अनेक मार्ग हैं| भक्ति योग, ज्ञान योग, लययोग, राजयोग, हठयोग शांभवी योग| इन सभी को एक सूत्र में पिरोकर, इन पर सवार होकर आध्यात्मिक उन्नति के लक्ष्य के लिए प्रस्थान का इससे अच्छा समय और कौन सा हो सकता है?
मन, मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का कल्प करने में योग ही सक्षम है| जीवन को उच्चता की ओर ले जाने की सारी विधियां इस योग में अंतर्निहित है| इस अवस्था में योग को अंगीकार कर इस लोक को तो सार्थक किया जा सकेगा साथ ही सूक्ष्म और कारण जगत की तैयारी भी शुरू हो जाएगी| यदि अगला जीवन मिलना है तो उसके लिए जो सकारात्मक ऊर्जा चाहिए उसके निर्माण का माध्यम भी यही योग बनेगा|
काटना सभी को आता है पर जीना अभी बाकी है
दुसरे लोगो की बाते तो सभी करते है, पर खुद को समझना अभी बाकी है.....
आँखों में जो अनकहे ख्वाब थे, उनको पूरा करना अभी बाकी है...