भोपाल: दशकों से जंगल महकमें में बने सीएफ-डीएफओ और सप्लायर्स नेक्सस को तोड़ने में वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव का नेक-नियति पर सवाल उठने लगे हैं। वन बल प्रमुख के निर्देश पर तैयार निविदा की एकजाई शर्तें को दरकिनार उत्तर वन मंडल शहडोल समेत एक दर्जन डीएफओ सप्लायर्स के इशारे पर अपनी शर्ते अलग से जोड़ दे रहे हैं। उत्तर वन मंडल शहडोल के टेंडर को लेकर शिकायत मुख्यालय पहुंच चुकी है। हालांकि शहडोल वन संरक्षक अजय पाण्डेय ने मानते है कि टेंडर में त्रुटी हुई है और वे उसका का परीक्षण कर रहें है।
वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने पहली बार सीएफ-डीएफओ और सप्लायर्स नेक्सस को तोड़ने के लिए एपीसीसीएफ उत्तम शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की। कमेटी ने एक महीने से अधिक समय तक कड़ी मशक्क्त करके टेंडर की एकजाई शर्ते निर्धारित की। अपवाद स्वरूप कुछ वन मंडलों को छोड़कर इन्हीं शर्तों पर 2024-25 में टेंडर भी किए गए। अब वन पर प्रमुख के रिटायरमेंट 3 महीने शेष रहते मैदानी अक्सर अपनी मनमानी पर उतर आए हैं। इसी कड़ी में उत्तम कमेटी की शर्तों को डस्टबिन में डालते हुए मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 में होने वाली खरीदी के लिए डीएफओ अपने चहेती फर्म को उपकृत करने टेंडर में नई शर्ते जोड़ रहें हैं। मसलन, उत्तर वन मंडल शहडोल डीएफओ ने रसूखदार सप्लायर्स को उपकृत करने टेंडर की शर्तें उनके अनुरूप निर्धारित कर दी है। उत्तर वन मंडल शहडोल डीएफओ तरुणा वर्मा ने 17 आइटम की टेंडर एक साथ करके 3 साल का टर्न ओवर 3 करोड़ मांग ली है। वन संरक्षण अजय पांडेय भी मानते हैं कि सभी आइटमों का एक़ साथ टेंडर आमंत्रित करना न्याय संगत नहीं है।
डीएफओ की शिकायत मुख्यालय पहुंची
शहडोल के उमाकांत तिवारी ने उत्तर वन मंडल शहडोल की डीएफओ तरुण वर्मा के खिलाफ वन संरक्षक शहडोल अजय पांडेय और पीसीसीएफ (विकास) सुदीप सिंह को बिंदुवार शिकायत की है कि आंमत्रित ई निविदा में 17 सामग्रियों हेतु एक मुश्त अमानत की राशि रू० 450000 (4 लाख 45 हजार )मांगी गई है। यदि किसी सप्लायर द्वारा उल्लेखित 17 सामग्रियों में से यदि 4-5 सामग्री की निविदा भरना चाहता है तो उसे भी रू० 450000/ अमानत राशि जमा करनी पड़ेगी जो विधि सम्मत नहीं है। सामग्रीवार का अनुमानित मूल्य के आधार पर पृथक-पृथक सामग्रीवार सत्यांकार की राशि मांगी जानी चाहिए थी। जो निविदा में उल्लेख नहीं किया गया है।
शिकायत की अन्य प्रमुख बिंदु
टेंडर में सामग्री कितनी खरीदी जानी है, इसका भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है। प्रत्येक सामग्री के आगे आवश्यकता अनुसार लिखा जाना, डीएफओ की स्वेच्छाचारिता को दर्शाता है।
निविदाकारो के लिए निविदा शर्त आईटीबी खण्ड दो (ब) निविदा दस्तावेज के बिन्दु-3 में पिछले वित्तीय वर्ष के आयकर रिर्टन वर्ष 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 मांगा गया है और बिन्दु -10 में जीएसटी R3V रिर्टन सीए से प्रमाणित वर्ष 2024-25 को मांगा गया है। इससे स्पष्ट होता है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 समाप्त होने के पूर्व ही निविदा का प्रकाशन कर दिया गया है, जो त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।
ई निविदा के खण्ड 2 के (निविदाकरो के लिये निर्देश आईटीवी.) क्र -2 में स्पष्ट उलेख किया गया है कि वस्तुओं की संभावित मात्रा सफल निविदाकार व वनमंडलाधिकारी के बीच आवश्यकतानुसार बढ़ाई जा सकती है। जबकि निविदा में वस्तु की मात्रा ही निश्चित नहीं है। यह त्रुटी पूर्ण है।
ई-निविदा के माध्यम से शासन के मंशानुरूप ज्यादा से ज्यादा सामग्री प्रदाता भागीदारी करेंगे, जिससे विभाग को भी प्रतिस्पर्धा के माध्यम से कम दर पर सामग्री लेने का मौका मिल सकता है और इससे शासन को राजस्व बचत भी होगी।
BIS की शर्त का विरोध एसीएस तक पहुंचा
उत्तम शर्मा कमेटी द्वारा बनाए गए टेंडर की शर्तों में BIS प्रमाणित वाली सामग्री खरीदने का कोई उल्लेख नहीं था। मौजूदा वित्तीय वर्ष पीसीसीएफ विकास सुदीप सिंह ने पिछले दिनों सभी वन संरक्षक और डीएफओ के नाम एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि BIS प्रमाणक बायरबेड, चैनलिंक फेंसिंग और फेंसिंग पोल ही खरीदें। इस सर्कुलर का विरोध हो रहा है। इंदौर के एक सप्लायर्स का ग्रुप भोपाल आकर एसीएस अशोक वर्णवाल और वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव से मिला। श्रीवास्तव ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि BIS के संदर्भ में कोई बदलाव नहीं होगा। जबकि एसीएस अशोक वर्णवाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि हम विचार करेंगे। सप्लायर्स ग्रुप का कहना था कि आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है। प्रदेश में लगभग 150 निर्माता सूक्ष्म लघु उद्योग इकाईयां हैं, जो बायर बेड वायर, चैनलिंक फेंसिंग और फेंसिंग पोल इत्यादि सामग्री का निर्माण कर विभाग को प्रदाय करती है। ऐसी लघु उद्योग इकाईयां अपने व्यवसाय हेतु लगभग पूर्ण रूप से वन विभाग पर निर्भर है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन इकाईयों द्वारा वृहद स्तर पर रोजगार भी प्रदान किया जा रहा है।
प्रदेश में BIS प्रमाणक तीन इकाईयां
सप्लायर्स ग्रुप द्वारा एसीएस को दिए गए ज्ञापन में कहा है कि वर्तमान में प्रदेश में मात्र तीन इकाईयां है, जिनके पास वांछित BIS प्रमाणन है। मात्र तीन इकाईयों द्वारा विभागीय आवश्यकताओं की पूर्ति संभव नहीं है। साथ ही यह कहना भी उचित होगा कि अन्य इकाईयों द्वारा भी समान मशीनरी का उपयोग कर समान गुणवत्ता की सामग्री प्रदाय की जा रही है। व्यापक हित को दृष्टिगत रखते हुए सुदीप सिंह द्वारा जारी आदेश 6 माह के लिए निरस्त किया जाए।