टमाटर का बीजोत्पादन..
बीज उत्पादन के लिए टमाटर की खेती लगभग उसी प्रकार से होती है जिस प्रकार सब्जी उत्पादन के लिए करते है। टमाटर स्वपरागित पौधा होते हुए भी इसमें 30-40 प्रतिशत तक परागण पाया जाता है। अतः इसी कारण बीज उत्पादन करते समय दो किस्मों के बीज की दूरी 50-100 मीटर रखते हैं। बीज के लिए स्वस्थ पौधे का चुनाव करते हैं तथा पूर्ण रूप से पक जाने के उपरान्त बीज के लिए फल (टमाटर) को तोड़ते हैं। फल तोड़ने के पश्चात् निम्न दो विधियों से बीज को अलग करते है।
टमाटर के बीज, फूल एवं फल:
1. किण्वन विधि- इस विधि का प्रयोग छोटे-छोटे फलों जिनमें अधिक बीज होते हैं, के लिए किया जाता है। इसमें टमाटर के गुच्छे को मिट्टी अथवा लकड़ी के बर्तन में किण्वीकरण हेतु एक या दो दिनों के लिए रख देते है। इसके पश्चात् उस बर्तन में पानी भर देते हैं जिसमें पके टमाटर के गुच्छे रखे होते हैं। जिससे टमाटर का गूदा एवं छिलका तैरने लगता है तथा बीज नीचे बर्तन की तली में बैठ जाता है जिसे छान कर अलग कर लिया जाता है।
इस प्रक्रिया में टमाटर का कोई भी भाग खाने के काम में प्रयोग नहीं लाया जा सकता है। इस विधि से प्राप्त बीजों में अंकुरण अच्छा होता है।
2. अम्लोपचार विधि- बड़े स्तर पर बीज प्राप्त करने हेतु इस विधि का प्रयोग होता है। इस विधि में टमाटर का गूदा खाने में प्रयोग किया जा सकता है। इस विधि से बीज प्राप्त करने के लिए 14 किलो पके टमाटर के फल में 100 मिलि व्यापारिक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल गूदे के साथ अच्छी तरह मिलाकर 30 मिनट तक रख देते हैं।
इसी समयान्तराल में बीज एवं गूदा लसलसे पदार्थ से अलग हो जाते है। उसके पश्चात् बीज एवं गूदे को साफ पानी से अच्छी तरह साफ कर लेते हैं तथा बीज को अच्छी तरह सूखा लेते हैं। इस विधि से प्राप्त बीजों में अंकुरण की समस्या देखी गयी है।