मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव की उपस्थिति में ‘वन संरक्षण और जलवायु-समर्थ आजीविका’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ हुई। सीएम डॉ.यादव और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।
यह कार्यशाला वनों, जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों और जनजातीय आजीविका को केंद्र में रखते हुए एक सतत और न्यायसंगत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कार्यशाला में विकसित भारत @2047 के लक्ष्य में वनों की भूमिका को लेकर विचार मंथन किया जाएगा।
मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में वनों की पुनर्स्थापन, जलवायु परिवर्तन और समुदाय-आधारित आजीविका जैसे महत्वपूर्ण विषय मंथन में शामिल हैं। इस अवसर पर जनजातीय समुदाय और प्राकृतिक संरक्षण पर केंद्रित ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति भी दी जाएगी।
राष्ट्रीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में वन संरक्षण की वर्तमान कानूनी व्यवस्थाएं, उनकी सीमाएं और समाधान, जैव विविधता संशोधन अधिनियम-2023, सामुदायिक वन अधिकार, पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण और वन पुनर्स्थापन जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ शामिल हुए, बैंगलुरू से आए प्रो. रमेश समेत डॉ. योगेश गोखले, डॉ. राजेन्द्र दहातोंडे आदि वक्ता विशेषज्ञ के रूप में अपनी बात रखेंगे।