Union Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में मोदी 3.0 का पूर्ण बजट पेश कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये आठवां बजट था। इसके साथ ही निर्मला सीतारमण के नाम लगातार आठ बार बजट पेश करने का अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हो गया है।
अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट विकसित भारत के संकल्प का बजट है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। यह बजट गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए है। यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
इस बीच बजट में की गई घोषणाओं पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान सामने आया है।
राहुल ने अपने X पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है, कि
गोली के घाव पर पट्टी!
वैश्विक अनिश्चितता के बीच, हमारे आर्थिक संकट को हल करने के लिए प्रतिमान बदलाव की आवश्यकता थी।
लेकिन यह सरकार विचारों के मामले में दिवालिया हो चुकी है।
केंद्रीय बजट 2025 पर टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा- "बिहार मेरी ताकत है और बिहार के लिए प्रावधान देखकर मुझे अच्छा लगा, लेकिन चुनाव का समय भी है, तो कही वही सोचकर ये चुनावी बजट तो तैयार नहीं किया गया ?... बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तो अच्छा है, लेकिन क्या ये काफी है?... बिहार को ध्यान में रखकर बनाया गया ये बजट लॉलीपॉप जैसा लगता है...
अब सैलरीड क्लास की बात करें तो छूट 12 लाख की जगह 15 लाख होनी चाहिए थी, लेकिन फिर भी 12 लाख तक हुआ हम इसकी सराहना करते हैं... लेकिन अभी भी बहुत सी चीजों का अध्ययन करने की जरूरत है..."
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बजट के डिरेल होने की बात कही।
वित्त मंत्री ने 4 इंजनों की बात की: कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात। इतने सारे इंजन कि बजट पूरी तरह से पटरी से उतर गया है।
अर्थव्यवस्था चार संबंधित संकटों से जूझ रही है -
i. स्थिर वास्तविक मजदूरी
ii. सामूहिक उपभोग में उछाल की कमी
iii. निजी निवेश की सुस्त दरें
iv. जटिल और पेचीदा जीएसटी प्रणाली
बजट इन बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ नहीं करता है।
केवल आयकरदाताओं के लिए राहत दी गई है। अर्थव्यवस्था पर इसका वास्तविक प्रभाव क्या होगा, यह देखना अभी बाकी है।
वोकल को राहत मिली है, लेकिन लोकल को क्या मिला? पिछले 10 सालों में वास्तविक मजदूरी दरें स्थिर रही हैं। सामूहिक उपभोग और निजी निवेश की दर में वृद्धि नहीं हुई है; जीएसटी जटिल हो गया है, और यह बोझ बन गया है। चीन से बेलगाम आयात हो रहा है, जो एमएसएमई क्षेत्र को नष्ट कर रहा है। ये अर्थव्यवस्था के असली मुद्दे हैं: बढ़ती बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे, एमएसपी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार। ये सभी स्थायी समिति की सिफारिशें हैं, और उन सभी को नजरअंदाज कर दिया गया है।
अब, 5 फरवरी को दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए उन्होंने दिल्ली के लिए कर राहत की घोषणा की है, और बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने बिहार के लिए घोषणाएँ की हैं। अर्थव्यवस्था के असली मुद्दे स्थिर वास्तविक मजदूरी, सामूहिक उपभोग में ठहराव, बढ़ती आर्थिक असमानताएँ हैं, और जटिल जीएसटी का बोझ भी है जो एमएसएमई को नुकसान पहुँचा रहा है।
अर्थव्यवस्था के असली मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी एक 'हेडलाइनजीवी' प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने आज की सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश की। लेकिन जब वास्तविकता सामने आएगी, तो लोगों को एहसास होगा कि यह बजट असमानता, मूल्य वृद्धि, मनरेगा, स्थिर मजदूरी, निजी निवेश की कमी, कर आतंकवाद और कर अधिकारियों से मुक्ति जैसे वास्तविक मुद्दों को संबोधित नहीं करता है।
तो सवाल बना हुआ है: स्थानीय लोगों, किसानों, श्रमिकों और छोटे व्यवसायों को क्या मिला?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे का कहना है, कि
एक मुहावरा इस बजट पर बिलकुल सटीक बैठता है - नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली ! पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने Middle Class से ₹54.18 लाख करोड़ का Income Tax वसूला है, और अब वह 12 लाख तक का जो exemption दे रहें हैं, उसके हिसाब से वित्त मंत्री खुद कह रहीं हैं कि साल में ₹80,000 की बचत होगी।
यानि हर महीने मात्र ₹6,666 की ! पूरा देश महँगाई और बेरोज़गारी की समस्या से जूझ रहा है, पर मोदी सरकार झूठी तारीफ़े बटोरने पर उतारू है। इस "घोषणावीर" बजट में अपनी खामियां छिपाने के लिए Make In India को National Manufacturing Mission बना दिया गया है।
बाकी सारी घोषणाएं लगभग ऐसी हैं। युवाओं के लिए कुछ नहीं है। मोदी जी ने कल वादा किया था कि इस बजट में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए वो बड़ा कदम उठाएंगे, पर बजट में कुछ ऐसा नहीं निकला। किसानों की आय दोगुना करने के लिए कोई roadmap नहीं; खेती के सामान पर GST दर में कोई रियायत नहीं दिया गया। दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, गरीब और अल्पसंख्यक बच्चों के स्वास्थ, शिक्षा, स्कॉलरशिप की कोई योजना नहीं ।
Private Investment कैसे बढ़ाना है, उसके लिए कोई Reform का कदम नहीं है। Export और Tariff पर दो चार सतही बातें कहकर अपनी विफलताओं को छिपाया गया है। गरीब की आय को बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया गया है। लगातार गिरते consumption पर एक भी कदम नहीं उठाया गया है। असमान छूती महँगाई कि बावजूद MGNREGA का बजट वही का वही है। श्रमिकों को आय बढ़ाने के लिये कुछ नहीं किया गया।
GST के Multiple Rates में कोई सुधार की बात नहीं की गई है। बेरोज़गारी को कम करने के लिए, नौकरियां बढ़ाने की कोई बात नहीं की गई। Startup India, Standup India, Skill India सभी योजनाएँ बस घोषणाएँ साबित हुईं। कुल मिलाकर ये #Budget 2025 मोदी सरकार द्वारा लोगों की आँखों में धूल झोंकने का प्रयास है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इसे बिहार फोक्सड बजट बताया...
सिंघार ने वीडियो शेयर करते हुए कहा,
10 सालों से गीत की तरह गाया जाने वाला है यह बजट-2025 इस बजट में सिर्फ भाजपा का सत्ता को बचाए रखने की झलक दिख रही थी उसके सिवा कुछ भी नहीं था। क्या किसी ने वित्त मंत्री जी के भाषण में बिहार के अलावा किसी अन्य प्रदेश का नाम सुना? बिहार में चुनाव है, इसलिए बजट में सिर्फ बिहार ही नजर आ रहा है।
ये झुनझुना बजट है क्योंकि इसमें - गरीबों के आवास पर कुछ नहीं? मनरेगा योजना को लेकर कोई बात नहीं ? मध्यप्रदेश राज्य को भी कुछ नहीं मिला? महंगाई, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था को लेकर इस बजट ने निराश किया है। आदिवासियों के विकास का बजट कम किया। किसानों के लिए MSP पर कोई बात नहीं हुई।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तक इन सुधारों की मांग कर रहा है, लेकिन वित्त मंत्रालय ठुकरा रहा है। देश के भविष्य—बच्चों और महिलाओं पर मोदी सरकार इतनी कंजूसी क्यों कर रही है? जब देश के बजट की बात होती है तो पूरे देश के लिए बजट में कुछ न कुछ होना चाहिए। बजट आज के लिए पेश किया जाना चाहिए मगर ये भाजपा सरकार बात 2047 की कर रही है।