महाकुंभ पर PM मोदी का भाषण खत्म होते ही हंगामा, क्या है नियम 372 जिसके तहत विपक्ष नहीं पूछ सकता कोई प्रश्न?


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स्टोरी हाइलाइट्स

लोकसभा में महाकुंभ पर पीएम मोदी के भाषण के बाद विपक्ष मचा रहा हंगामा, जानिए नियम 372 क्या है और इसके तहत विपक्ष को सवाल पूछने से रोका गया..?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ पर सदन को संबोधित किया। जैसे ही पीएम मोदी इस संबोधन के लिए लोकसभा में दाखिल हुए, सत्ता पक्ष के सांसदों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। प्रयागराज महाकुंभ पर जैसे ही पीएम मोदी ने अपना भाषण समाप्त किया, विपक्षी सांसद खड़े होकर वेल में आ गए और सवाल पूछने की मांग करने लगे। 

इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी सांसदों को बैठने को कहा। सांसदों का हंगामा बढ़ने पर ओम बिरला ने बताया कि पीएम मोदी सांसदों के सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा में नियम 372 के तहत मंत्री को सार्वजनिक महत्व के मामले पर बयान देने की अनुमति है, लेकिन उस समय सदन में कोई प्रश्न नहीं पूछा जा सकता।

मंत्री को स्पीकर से अनुमति लेनी होगी - इस नियम के तहत किसी भी मंत्री को बयान देने से पहले लोकसभा स्पीकर से अनुमति लेनी होगी।

लोक महत्व के मुद्दों पर वक्तव्य - यह नियम केवल लोकहित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ही लागू होता है, ताकि सरकार सदन में सीधे तौर पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सके।

कोई प्रश्न नहीं पूछा जा सकता - जब कोई मंत्री कोई वक्तव्य देता है, तो उस समय न तो विपक्ष और न ही कोई अन्य सदस्य उससे प्रश्न पूछ सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ पर वक्तव्य:

इस नियम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ पर बयान दिया, लेकिन विपक्ष को तत्काल प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं दी गई। यही कारण है कि इस नियम पर चर्चा की गई।

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने 4 फरवरी को लोकसभा को संबोधित करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया था। अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने 'विकसित भारत' पर जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम ने यह भी कहा कि यह उनका तीसरा कार्यकाल है और वह आने वाले वर्षों में भी इसी तरह काम करते रहेंगे। 

पीएम मोदी के लोकसभा में दिए गए संबोधन के मुख्य बिंदु..

- जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं, तो 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की झलक दिखती है, एकता की भावना बढ़ती है।

- हमने करीब डेढ़ महीने तक, भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया।

- कैसे सुविधा, असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए, कोटि-कोटि श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे, ये हमारी बहुत बड़ी ताकत है।

- आज पूरे विश्व में जब बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का ये विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है।

- ⁠अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, ये हम हमेशा कहते आए हैं और इसी के विराट रूप का अनुभव हमने प्रयागराज महाकुंभ में किया है।

- ⁠हमारा दायित्व है, अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।

- ⁠महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है।

- ⁠महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए।

- ⁠लोग अहं त्याग कर वयं के भाव से, मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे।

- ⁠पिछले वर्ष, अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमने महसूस किया था कि कैसे देश एक हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है।

- ⁠इसके ठीक एक साल बाद, महाकुंभ के आयोजन ने हम सबके इस विचार को और दृढ़ किया है।

वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में महाकुंभ पर प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य पर कहा- “वह महाकुंभ पर सकारात्मक बोल रहे थे... विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए था क्योंकि विपक्ष की भी महाकुंभ के प्रति भावनाएं हैं और अगर हम अपनी बात रखते हैं तो उन्हें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए...विपक्ष को भी दो मिनट बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।