US election Results Trump Victory:अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड की जीत, जानिए जीत का कारण


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स्टोरी हाइलाइट्स

अमेरिका के 130 साल के चुनावी इतिहास में यह पहली बार है कि कोई पूर्व राष्ट्रपति, जो पिछला चुनाव हार गया था, फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में रहा और विजयी रहा..!!

US election Results Donald Trump Victory: डोनाल्ड ट्रंप US प्रेसीडेंट इलेक्शन में विजयी रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को बहुमत मिल गया है। ट्रंप को अब तक 277 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं। ट्रंप की जीत ऐतिहासिक बताई जा रही है। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का सीधा मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से था। अमेरिका के 130 साल के चुनावी इतिहास में यह पहली बार है कि कोई पूर्व राष्ट्रपति, जो पिछला चुनाव हार गया था, फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में रहा और विजयी रहा।

अब तक के सर्वेक्षणों और जनमत सर्वेक्षणों से सामने आए डोनाल्ड ट्रंप की जीत के कुछ अहम कारण इस प्रकार हैं-

अर्थव्यवस्था..

लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव को देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा अहम मुद्दा माना। कई लोगों को साफ तौर पर लगता है कि जो बाइडेन के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। गौरतलब है कि 2020 में ट्रंप के जाने और जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद देश को कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा था। वैसे तो इस महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। लेकिन इस दौरान अमेरिका में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के बावजूद 3.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इस बीच लोग बाइडेन से नाराज दिखे। साथ ही इस दौरान जिस तरह से अर्थव्यवस्था नीचे गई, उससे उबरने में समय लगा। यह बात अलग है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और आज भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था दुनिया की नंबर वन अर्थव्यवस्था है। ट्रंप ने अपने भाषणों में अर्थव्यवस्था का मुद्दा जमकर उठाया और बताया कि कैसे उनके कार्यकाल में अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे मजबूत स्थिति में थी।

मुद्रा स्फ़ीति..

अमेरिका में ट्रंप के शासन के बाद सत्ता में आए जो बाइडेन के लिए सबसे परेशान करने वाली और हैरान करने वाली समस्या महंगाई थी। खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से लोग परेशान थे। आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2021 की तुलना में इस साल सितंबर में मुद्रास्फीति कम थी, लेकिन बिडेन के कार्यकाल के दौरान यह आंकड़ा उच्च बना हुआ है। खास बात यह है कि अर्थव्यवस्था में खाद्य महंगाई के अलावा कोई बड़ी समस्या नहीं है।

अमेरिका इस समय 1970 के दशक के बाद से सबसे अधिक मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो हर अमेरिकी को प्रभावित करता है। और इस बार रिपब्लिकन उम्मीदवार ने लगातार इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठाया। उन्होंने कई मंचों पर पिछले चार वर्षों और अपने राष्ट्रपति कार्यकाल की तुलना करने को कहा कि कौन सा बेहतर था।

जो बाइडेन की उम्र और नीतियां..

राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे पहले शामिल हुए थे। पार्टी की ओर से उनके नाम के साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया गया। लेकिन लगभग आधे अभियान के दौरान पार्टी को एहसास हुआ कि जो बाइडेन की उम्र उनके काम पर असर डाल रही है। वे पहली प्रेसीडेंशियल बहस में आक्रामक डोनाल्ड ट्रंप के सामने वह फीके दिखे। इसके बाद बाइडेन को पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ा। पार्टी के अंदर लगातार विरोध और पार्टी के लिए फंड की कमी के बाद आखिरकार उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

कमला हैरिस की मैदान में देर से एंट्री..

जो बाइडेन की वापसी के बाद पार्टी ने कमला हैरिस को अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि लेट एंट्री के बाद भी कमला हैरिस ने ट्रंप को कतड़ी टक्कर दी औ पूरी कोशिश की। उनके आने के बाद चुनावी सर्वेक्षणों में इसका असर दिखा। जो पोल पहले डोनाल्ड ट्रंप की ओर झुक रहे थे, उनमें बदलाव आना शुरू हो गया और मुकाबला काफी कड़ा हो गया। सभी चुनावों में दोनों नेताओं के बीच कड़ी टक्कर की चर्चा रही।

इतना ही नहीं कई सर्वे के नतीजे भी कमला हैरिस के पक्ष में आए। लेकिन जुलाई में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनने के बाद कमला हैरिस के लिए हर राज्य में जाकर यह समझाना बड़ा काम था कि वह एक बेहतर राष्ट्रपति कैसे बनेंगी। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक-दो रैलियों में उन्हें कहना पड़ा कि कई लोग उनके बारे में ज्यादा जानते भी नहीं हैं।

अवैध इमीग्रेशन..

इस चुनाव में अमेरिका में अवैध इमीग्रेशन का मुद्दा लोगों के बीच भावनात्मक मुद्दा बन गया। डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया। उन्होंने बाइडेन प्रशासन पर लोगों की मदद के नाम पर ढिलाई बरतने और देश का पैसा विदेशों में बर्बाद करने का आरोप लगाया। 

विदेशों से लोगों की निरंतर आमद और इसके परिणामस्वरूप बदलती जनसंख्या संख्या का मुद्दा कई राज्यों में लोगों के लिए चिंता का कारण बन गया है। जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन के दौरान इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया था, वह लोगों को पसंद आया, जबकि ट्रंप ने बिडेन पर इस मुद्दे पर ढीला रुख अपनाने का आरोप लगाया। चुनाव में लोगों ने इस मुद्दे पर ट्रंप का समर्थन किया।

विदेश नीति..

चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन उम्मीदवारों ने डेमोक्रेट्स के मौजूदा प्रशासन यानी जो बाइडेन पर विदेश नीति में सही नीति नहीं अपनाने का आरोप लगाया। इस सरकार में कमला हैरिस उपराष्ट्रपति थीं। ऐसे में जब-जब ट्रंप ने रैली में कोई सवाल उठाया तो कमला हैरिस उसमें फंसती नजर आईं। 

कमला हैरिस को प्रचार के आखिरी दौर में कहना पड़ा कि वह बाइडेन प्रशासन से अलग नीति पर काम करेंगी। वह अपनी सरकार की अलग नीति बनाएंगी। ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन पर विदेशी खर्च को मजबूर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ा है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर यूक्रेन का मुद्दा उठाया।