वट सावित्री व्रत:अखंड सौभाग्य का पर्व, जानिए महत्व,शुभ मुहूर्त और पूजन विधि


स्टोरी हाइलाइट्स

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. बरगत के पेड़ में त्रिदेव जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है.

सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में कई ऐसे व्रत त्योहारों का उल्लेख मिलता है जिन्हें करना सौभाग्य माना जाता है, इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत। इस व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण भी वट वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुए थे।।

वट सावित्री का शुभ मुहूर्त-:

वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई 2023 दिन गुरुवार को रात 09:42 पर शुरु होगी जो अगले दिन 19 मई 2023 की रात 09:22 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री का व्रत 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।

वट सावित्री व्रत शुभ संयोग-:

वट सावित्री का व्रत रखने वाले दिन में शोभन योग का निर्माण होने जा रहा है. ये योग 18 मई को शाम 7:37 से 19 मई को शाम 6:16 तक रहने वाला है। इसके अलावा इस दिन शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या भी पड़ रही है। इस वर्ष वट सावित्री व्रत पर ग्रहों की स्थिति बेहद खास होने वाली है। इस दिन शनिदेव अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होंगे, जिससे शश योग का निर्माण होगा। ऐसे में इस दिन शनि देव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है। इसके अलावा इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ में इस राशि में होंगे, जिससे गजकेसरी योग का निर्माण भी होगा।

वट सावित्री व्रत का महत्व-:

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. बरगत के पेड़ में त्रिदेव जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है. मान्यता के अनुसार इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान को छीन कर ले आईं थी, कहते हैं इस व्रत को जो भी सुहागिन महिला करती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।।

व्रत पूजन की सरल विधि-:

• वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिला सूर्योदय से पूर्व उठे।

• प्रातः जल्दी स्नानादि करने के बाद नए वस्त्र धारण करें श्रंगार करें।

• बरगद के पेड़ की जड़ को जल अर्पित करें, गुड़ चना अक्षत फूल इत्यादि भी अर्पित करें।

• कच्चे सूत से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।

• परिक्रमा के समय पति की लंबी आयु की कामना करें।

• वट सावित्री व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।

• इसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें।

व्रत के दिन क्या करें, क्या नहीं करें-:

• वट सावित्री व्रत के दिन दान करना अति लाभकारी माना गया है।

• इस दिन किसी सुहागन स्त्री को सुहाग का सामान दान करना शुभ माना गया है।

• वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को काले नीले कपड़े पहनने से बचना चाहिए।

•इस दिन व्रत उपवास का पालन करना चाहिए। दूध- फल वगैरह का सेवन करें। एक समय भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।

• इस दिन तामसिक भोजन व लहसुन प्याज आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

• इस दिन ज्यादा से ज्यादा मौन का पालन करें और अपने ईष्ट प्रभु के मंत्रों का जप करें।।