उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के तीखे तेवर, कृषि मंत्री शिवराज से किया जवाब तलब


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स्टोरी हाइलाइट्स

कहा- कृपया मुझे बताएं कि किसान से क्या वादा किया गया था? और वादा पूरा क्यों नहीं किया गया?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधे कई सवाल पूछे।
उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की ओर इशारा करते हुए कहा, कृषि मंत्री जी, आपका एक-एक पल भारी है। मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं और भारत के संविधान के तहत दूसरा व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि कृपया मुझे बताएं कि किसान से क्या वादा किया गया था? और वादा पूरा क्यों नहीं किया गया?

वादा निभाने के लिए हम क्या करते हैं? पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है। समय का पहिया घूमता रहता है। हम कुछ नहीं कर रहे हैं।

धनखड़ मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन कॉटन टेक्नोलॉजी (CIRCOT) के शताब्दी समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिवराज भी मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने उपराष्ट्रपति के सवालों का जवाब नहीं दिया। शिवराज ने कहा- किसानों के बिना भारत समृद्ध देश नहीं बन सकता।

वीडियो को मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शेयर करते हुए उपराष्ट्रपति का धन्यवाद करते हुए लिखा है, 

कृषि मंत्री शिवराज जी, आपने बड़े-बड़े मंचों से कहा था कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे, गेहूँ और धान की MSP ₹2700 और ₹3100 कर देंगे। लेकिन आपकी तरफ़ से किसानों को केवल धोखा मिला। माननीय उपराष्ट्रपतिी ने आपकी नीतियों और नियत को उजागर कर आपकी मंशा को सबके सामने ला दिया। हम किसान, जो सर्दी, गर्मी, बारिश और धूप में 12 महीने मेहनत करते हैं ताकि देश का कोई भी बच्चा भूखा न सोए, वहीं आप दिन-रात इस कोशिश में लगे हैं कि हम फसल के दाम न मिलने पर आँसू बहाएँ, खाद की लाइनों में लगकर लाठियाँ खाएँ, और बिजली के बढ़ते बिलों से परेशान होकर खेती छोड़ने पर मजबूर हो जाएँ। मैं माननीय उपराष्ट्रपति जी का साधुवाद करता हूँ, जिन्होंने हम किसानों के दर्द को समझा और शिवराज जी को उनके गैर-जिम्मेदार रवैये पर सख़्त आईना दिखाया। शिवराज जी, किसान को दया नहीं, न्याय चाहिए। आपकी नीतियाँ अब तक केवल धोखा साबित हुई हैं।

उपराष्ट्रपति ने आगे बोलते हुए कहा, पहली बार भारत को बदलते देखा। मुझे पहली बार लगा कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं बल्कि लक्ष्य है। भारत दुनिया में इतना ऊपर कभी नहीं रहा। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और दुखी क्यों है?
यह समय मेरे लिए कष्टकारी है, क्योंकि मैं राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत हूं। विश्व में हमारी साख इससे अधिक कभी नहीं रही;
मोदी ने दुनिया को संदेश दिया है कि बातचीत से ही समाधान निकल सकता है। ऐसे में किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। विकसित राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए प्रत्येक नागरिक की आय आठ गुना बढ़ानी होगी।
वे कौन लोग हैं जो किसानों से कहते हैं कि वे उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य देंगे? मैं नहीं समझता कि पहाड़ गिर जायेगा। किसान अकेला और मजबूर है।

मंगलवार को जब धनखड़ कृषि मंत्री से सवाल कर रहे थे तो किसान नोएडा के 'दलित प्रेरणा स्थलम' पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। यह संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रहा था। पुलिस ने यहां 163 से ज्यादा किसानों को गिरफ्तार कर लिया। प्रेरणा स्थल को भी खाली कराया गया।

ये हैं, किसानों की 4 मांगें

किसानों को भूमि अधिग्रहण के बदले 10 प्रतिशत बड़े भूखंड दिए जाएं।
किसानों को 64.7 फीसदी की दर से मुआवजा मिलना चाहिए।
नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक मुआवजा बाजार दर से 4 गुना होना चाहिए।
जमींदारों और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के सभी लाभ दिए जाने चाहिए।