शासन-प्रशासन और सरकारों के साथ निजी क्षेत्रों में भी तेज़ी से गतिविधियों में इजाफ़ा हुआ है। परन्तु इसके साथ ही दुर्घटनाओं, जान माल की हानि का आंकड़ा चिंता बढ़ा रहा है। सड़क मार्ग हो या रेल मार्ग, जलवाहक पोत हो या हवाई जहाज़ निश्चित नियम, नियंत्रण व्यवस्था लागू है पर देखने में आ रहा है कि विभिन्न स्तरों पर लापरवाही और उदासीनता के साथ सक्षम एजेंसियों की अनदेखी से समस्या बढ़ती लग रही है।
गत दिनों ही बिहार के समस्तीपुर-सहरसा रेल मार्ग पर हसनपुर रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन खड़ी कर ट्रेन लोको चालक बाज़ार चला गया और शराब के नशे में धुत अवस्था में पाया गया। हालत इतने बुरे होगये कि वह ट्रेन चलाने की स्थिति में नहीं रहा।
अन्य व्यवस्था जुटाई गई तब ट्रेन चली। खतरा कितना गंभीर है। शराब के नशे में ट्रेन चलती तो यात्रियों और ट्रेन की जान माल को कितनी कीमत चुकानी पड़ती। नियम अनुसार हर ट्रेन में लोको पायलटों (चालकों) का परीक्षण होता है। नशे की जांच होती है। कई रेल दुर्घटनाएं होती रही हैं, जांच भी कराई जाती हैं। वांछित सुधार के आश्वासन भी दिये जाते हैं परन्तु समस्याओं का पूरी तरह समाधान नहीं हो रहा।
रेलवे स्टॉफ के प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी सुरक्षित रेल परिचालन की है परन्तु मानव निर्मित लापरवाही ही अधिक देखी जारही है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव स्वयं आकस्मिक रूप से ट्रेनों में जाकर यात्रियों और रेलवे स्टॉफ से मिल संवाद कर विश्वास बढ़ाने में जुटे हैं। पर लोग हैं कि लापरवाही में नहीं चूक रहे?
माह मई से कई ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ है। जुलाई से तो अन्य कई ट्रेनें बिना रिजर्वेशन के भी आरम्भ होना है।रतलाम मण्डल , कोटा मण्डल, भोपाल इटारसी मण्डल ने जानकारी साझा की है जिसमें बताया गया है कि कोरोना लॉकडाऊन में स्थगित रेलवे सेवाएं जल्द शुरू होंगी, अर्थात यात्रियों और माल ढुलाई में वृद्धि होगी । चुनोतिपूर्ण स्थिति रहेगी , इसके लिए तैयार रहना होगा।
इसी प्रकार ताज़ा उदाहरण हवाई सेवा का है, जब मुंबई से दुर्गापुर जारहे निजी यात्री विमान का उतरते समय वायुमंडलीय विक्षोभ के कारण संतुलन गड़बड़ा गया और डेढ़ दर्ज़न यात्री घायल होगये। बड़ा हादसा टल गया पर चेलेंज दे गया है।
पायलट के काम नहीं करने की जानकारी मिली है। अचानक पांच हजार फीट नीचे आगया यात्री विमान, संतुलन बिगड़ने से हिचकोले खाते बमुश्किल लेंड कराया जासका।
घटना के बाद केंद्रीय नागर विमानन महानिदेशालय अब पूरे यात्री विमान बेड़े की जांच कर रहा है। देश मे ही नहीं अब अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू होजाने से आवागमन और आयात - निर्यात में तेज़ी से वृद्धि हुई है। रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते 20 हजार से अधिक स्टूडेंट्स और भारतीयों को देश लाया गया है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वयं निगरानी करते देखे गए हैं। पर स्पष्ट रूप से लापरवाही और उदासीनता भी पायलटों व स्टॉफ की उजागर हुई है। सरकारी और निजी क्षेत्रों की हवाई स्पर्धा से संकट गहरा रहा है। आने वाले समय में जहां उड़ानों में वृद्धि होगी वहीं यात्रियों की तथा माल परिवहन में भी इज़ाफ़ा होना है। ऐसे में अधिक जिम्मेदारी और अधिक दक्षता की दरकार है। ऐसे ही एक मामले में केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय द्वारा निजी हवाई कम्पनी के 90 से अधिक पायलट चालकों को अकुशल क़रार दिया था।
उन्होंने आधुनिक तकनीकी युक्त विमान उड़ाने का प्रशिक्षण ही नहीं लिया और चला रहे थे। यह गंभीर और यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाला कृत्य है। देश के विभिन्न हिस्सों में विमान प्रशिक्षण स्कूल चलाये जारहे हैं। मंदसौर, इंदौर, उदयपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ आदि स्थानों पर लायसेंस आधार पर विमान प्रचालन प्रशिक्षण दिया जारहा है ऐसे में यह अधिक महत्वपूर्ण होजाता है कि चालकों की दक्षता, तकनीकी जानकारी, वातावरण और मौसम अनुसार परिचालन , शारीरिक योग्यता, स्वास्थ्य, दृष्टि, विवेक आदि पर विशेष ध्यान दिया जाय।
सुरक्षा और रक्षा मामले में कोई शिथिलता नहीं रखी जाय। तभी यात्रा सुगम और सुरक्षित होगी, मुक्त आवाजाही बढ़ेगी वहीं विकास और व्यापार में वृद्धि संभव है। हालात सड़क मार्गों के भी ठीक नहीं लगते। कोरोना काल को छोड़कर अन्य दिनों में प्रतिदिन दुर्घटनाओं में सैंकड़ो लोग प्रतिदिन मारे जा रहे हैं।
हजारों लोग अंग भंग और परिवार जनों का नुकसान उठा रहे हैं। आबादी बढ़ने के साथ वाहनों में भारी वृद्धि दर्ज़ हुई है उसकी तुलना में परिवहन विभाग , पुलिस विभाग की क्षमता नहीं बढ़ सकी है। मंदसौर जैसे जिला मुख्यालय पर जहां तुलनात्मक रूप से सबसे अधिक दुपहिया वाहन और ट्रैक्टर चल रहे हैं उन पर निगरानी के लिए परिवहन विभाग और पुलिस विभाग का पर्याप्त स्टॉफ ही नहीं है।
स्टेट हाइवे, नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस वे जैसे उन्नत सड़कों का निर्माण किया जारहा है जहां 150 से 180 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति का परीक्षण हो रहा है पर ग्रामीणों और शहरी लोगों में यातायात जागरूकता, मोटर व्हीकल एक्ट के प्रति कोई ध्यान नहीं है।
हाल ही में केंद्रीय सड़क सुरक्षा एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा होप्स सोसायटी के रोड़ सेफ़्टी सेल के संयुक्त निरीक्षण में सड़कों पर वाहन चला रहे 75 प्रतिशत से अधिक वाहन चालकों की नजरें कमजोर पाई वहीं 30 प्रतिशत में दृष्टिदोष मिला। अन्य शारीरिक कमी भी उजागर हुई फिर भी स्वयं की और अन्य की जान जोखिम में डालकर वाहनों का परिचालन जारी है।
समुद्र और गहरी नदियों से जुड़े बंदरगाहों पर भी सुचारू संचालन में परेशानी होने लगी है । देश के गुजरात , महाराष्ट्र , कर्नाटक, केरल, बंगाल, ओड़िशा, तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों के पोर्ट एरिये में जगह की कमी होने लगी है। लोडिंग - अनलोडिंग के लिए लोगों की प्राथमिकता बदल रही हैं और मुंबई, विशाखापत्तनम, तूतीकोरीण, हल्दिया, कांडला आदि स्थानों को वरियता दी जारही है। मत्स्य उत्पादन के साथ बड़ी मात्रा में अन्य जिंसों का परिवहन किया जारहा है । यहां भी समस्याओं का अंबार होता जारहा है।
समीपवर्ती देशों श्रीलंका , बांग्लादेश के अलावा अन्य राष्ट्रों के पोत, कमर्शियल शिप, पैसेंजर ट्रेवलिंग शिप आदि के साथ संवेदनशील एरिये में नोसेना के बेड़े, पनडुब्बियां के लिए क्षेत्र आरक्षित है। कई बार तो घंटों तक मालवाहक और यात्री वाहक पोत को लंगर डालने इंतजार करना होता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी विशेष रूप से समुद्री यातायात को प्रोत्साहित करने में जुटे हैं। इसके साथ ही ड्राई पोर्ट पर भी माल ढुलाई का लोड बढ़ रहा है । यह भी कम चुनोतिपूर्ण नहीं है।
आवागमन और परिवहन की सुगमता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रचलित नियमों का परिपालन राष्ट्र और समाज के लिए जरूरी है। केंद्र और राज्य सरकारों को सभी प्रकार के परिवहन से पर्याप्त राजस्व मिलता है उसकी तुलना में जरूरी दक्ष स्टॉफ की पूर्ति की जाना चाहिए तब नियमों का पालन कराया जासकेगा। आसमान में , जल में और सड़कों व रेल मार्ग में व्यापक और दूरदर्शी योजना से कार्य अपेक्षित लगता है तभी सुरक्षा के साथ विकास की विस्तारित योजनाएं मूर्त रूप लेंगी।