वन आवरण क्षेत्र घटा क्यों, 24 डीएफओ को कारण बताओं नोटिस


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स्टोरी हाइलाइट्स

अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल के साप्ताहिक कार्यक्रम टीएल (टाइम लिमिट) की बैठक के एजेंडे में शामिल होगा..!!

भोपाल: भारतीय वन संरक्षण संस्थान देहरादून की रिपोर्ट आने के बाद एपीसीसीएफ प्रोटेक्शन मनोज अग्रवाल एक्शन मोड में आ गए हैं। अग्रवाल ने 25 डीएफओ को नोटिस जारी वन आवरण क्षेत्र कम होने के कारण पूछे हैं। उनके इस नोटिस को लेकर एक सवाल वन भवन की वीथिकाओं में तैर रहा हैे कहीं यह नोटिस रस्म अदाएगी की शुरुआत तो नहीं है..? क्या यह है अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल के साप्ताहिक कार्यक्रम टीएल (टाइम लिमिट) की बैठक के एजेंडे में शामिल होगा? 

सूत्रों के अनुसार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) मनोज अग्रवाल ने बड़वानी, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, दमोह, धार, डिंडोरी, पूर्व मंडला, गुना, हरदा, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर,  कटनी, खरगोन, कूनो पालपुर, नरसिंहपुर, नीमच, नार्थ बालाघाट, नॉर्थ बैतूल, नॉर्थ पन्ना, नॉर्थ सिवनी और नॉर्थ शहडोल को नोटिस जारी उन वास्तविक कारणों को जानना चाहा है, जिसकी वजह से वन आवरण घनत्व घटा है। 

दरअसल, अग्रवाल के नोटिस को ही रस्म अदाएगी की क्या वजह माना जा रहा है। जबकि एक सीनियर अधिकारी के अनुसार वन घनत्व एरिया कम होने के असल कारणों तक पहुंचाने के लिए कैंपा शाखा, विकास शाखा और अनुसंधान विस्तार शाखा से रिलीज किए गए फंड और फील्ड में हुए कार्यों की सूक्ष्मता से जांच कराई जानी चाहिए। खासकर वर्किंग प्लान के अनुसार वन मंडलों में कार्य किए गए अथवा नहीं। 

विभागीय सूत्रों के अनुसार वन मंडलों को कार्य योजना के अनुसार मद नहीं दिए गए बल्कि कैंपा और विकास शाखा से 'अंधा बाते रेवड़ी चीन्ह -चीन्ह कर देत' की तर्ज पर बांटे गए। वर्ष 19 से 2023 तक दिए गए बजट और उसे पर हुए कार्यों की जांच होनी चाहिए। जांच प्रतिवेदन आने पर उन पर कार्रवाई भी होनी चाहिए ताकि भविष्य में उसे दोहराया न जा सके। 

अतिक्रमण और उत्खनन को रोकने में नाकाम

राजनीतिक दबाव के चलते फॉरेस्ट के अधिकारी अतिक्रमण को रोक नहीं पा रहे हैं। जब किसी भी डीएफओ ने अतिक्रमण को लेकर सख्ती दिखाई उसे हटा दिया गया। फील्ड के अफसर पर लगातार हमले हो रहे हैं किंतु मंत्रालय में बैठे अपर प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल उनकी सुरक्षा को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। 

विभाग द्वारा खंडवा, बुरहानपुर, विदिशा, खरगोन, दमोह, पूर्व मंडला, उत्तर सिवनी, गुना और उत्तर बैतूल वन मंडलों में अवैध कटाई अतिक्रमण और उत्खनन को रोकने के लिए कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया। प्रदेश में सर्वाधिक अतिक्रमण बुरहानपुर में हैं। यहां राज्य सरकार भी अतिक्रमण रोकने में नाकाम रही है। 

बुरहानपुर में 1,90,102 हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र हैं। इनमें से 52,751 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण पाया गया है। वर्तमान में नॉर्थ सिवनी, विदिशा और बुरहानपुर में कोई भी डीएफओ पदस्थ नहीं है। 

पूर्व वन मंत्रियों के क्षेत्र में अतिक्रमण की स्थिति..

पिछले पांच साल में पांच वन मंत्री बनें, लेकिन वे मध्य प्रदेश के जंगल तो क्या अपने गृह जिले के जंगल में ही अतिक्रमण को पैर पसारने से नहीं रोक पाए। राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार के गृह जिले छतरपुर में 12 हजार 957 हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र में अतिक्रमण पाया गया है।

गौरीशंकर शेजवार - रायसेन -- 46 हजार हेक्टेयर

उमंग सिंघार --धार - 4360 हेक्टेयर

विजय शाह -- खंडवा -- 4034 हेक्टेयर

नागर सिंह चौहान -- अलीराजपुर -- 25601 हेक्टे.

दिलीप अहिरवार-- छतरपुर -- 12,957 हेक्टेयर