परमात्मा कण कण में क्यों है


स्टोरी हाइलाइट्स

"कोई कह ए सबे ब्रह्म, रहत सबन में व्याप।" "कोई कहे ए सबे छाया, नहीं यामें आप।।" उपरोक्त पदों में पंथो की बात बताई गई है। पहले पद में कुछ पंथ कहते है कि....

परमात्मा कण कण में है:   "कोई कह ए सबे ब्रह्म, रहत सबन में व्याप।" "कोई कहे ए सबे छाया, नहीं यामें आप ।।" उपरोक्त पदों में पंथो की बात बताई गई है। पहले पद में कुछ पंथ कहते है कि ब्रह्म इस संसार में कण कण में है तथा चारों तरफ व्याप्त है। दूसरे पद में कुछ पंथ कहते हैं कि संसार में ब्रह्म नहीं है यहां सर्वत्र ब्रह्म की छाया है। ये भी पढ़ें..क्या पूर्णब्रह्म परमात्मा इस नश्वर संसार में हैं ? आध्यात्मिक प्रश्न उत्तर भाग- 3 अब हम निम्न बिंदुओं पर विचार करें: 1- क्या प्रथम पद में कही गई बात सही है? 2- क्या दूसरे पद में कही गई बात सही है? 3- क्या दोनों पद सही हैं? 4- क्या दोनों पद गलत है? उपरोक्त बिंदुओं पर विचार करने से हम यह पाते हैं कि- उपरोक्त दोनों पद सही हैं क्योंकि इन दोनों पदों में ही संतो का कथन है। संत की कही हुई बात गलत नहीं होती है, परन्तु ये दोनों पद एक दूसरे को काटते हैं। ये भी पढ़ें..योग के उद्देश्य ? आत्मा को परमात्मा में मिला देना,आनन्द की प्राप्ति; दुःख से मुक्ति ही मोक्ष.. वेद कहते हैं कि ब्रह्म माया रहित है, ब्रह्म माया के साथ नहीं रह सकता है। परंतु इस संसार के अंदर तो सर्वत्र माया ही माया है और यह भी कहा जा रहा है कि ब्रह्म कण कण में है। यह किस प्रकार संभव है? वेद यह भी कहते हैं की ब्रह्म काल रहित है जहां ब्रह्म रहता है वहां जन्म और मृत्यु नहीं होती है। इस संसार में जन्म और मृत्यु होती रहती है यहां सर्वत्र काल है, तो फिर यह कौन सा ब्रह्म है जो काल के साथ रह रहा है। इसका सही उत्तर यह है कि जो ब्रह्म कण-कण में है वह असली ब्रह्म नहीं है। यह असली ब्रह्म की छाया है, यह प्रतिबिम्बित ब्रह्म है। ये भी पढ़ें.. कौन है परमात्मा और उसका वास्तविक स्वरूप क्या है? ATUL VINOD बजरंग लाल शर्मा