World Asthma Day 2021: आइये जानते इसके पीछे का कारण और थीम
विश्व अस्थमा दिवस हर वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. आज के समय में वायु प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है इसी के कारण अस्थमा के रोगियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इस बीमारी ने इतना विकराल रूप लेलिया है जिसके कारण इससे छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग, सब लोग प्रभावित हो रहे हैं. भारत में इस बीमारी को दमा के नाम से बोलते हैं. अस्थमा के खिलाफ लोगों को जागरूक करने और शिक्षित करने के लिए इस दिन को पूरे दुनिया में मनाया जाता है. विश्व अस्थमा दिवस ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा आयोजित किया जाता है. यह 1993 में स्थापित एक विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोगी संस्था है.
अस्थमा फेफड़ों का रोग है जो सांस की समस्याओं के कारण होता है. इस बीमारी से दुनियाभर में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. ये आंकड़ा रोज़ बढता जा रहा है. इसी बीमारी को और सपोर्ट करने वाली एक महामारी ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. ये दोनों बीमारी का असर लंग्स पर ज्यादा पड़ता है. WHO की मानें तो अस्थमा से होने वाली 80 फीसदी मौतें कम आय वाले देशों में होती हैं. आज भारत स्थिति ये है की यहाँ हर 10 में से एक व्यक्ति अस्थमा से प्रभावित है. यह अनुवांशिक बीमारी है. अस्थमा को लेकर जागरूकता और सही समय पर इलाज के जरिए इससे काफी हद तक बचा जा सकता है. साल 1998 में पहली बार वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया गया था. उसके बाद से हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है.
अस्थमा के लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, खांसी, छाती में कड़ापन और बार-बार ऐसे होना शामिल हैं. वैसे तो अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन सही जानकारी, बचाव, दवाइयों और इलाज से लोग सामान्य जिंदगी जी सकते हैं. इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम- Uncovering Asthma Misconceptions, है जिसका मतलब है अस्थमा से जुड़ी भ्रांति को उजागर करना और इससे संबंधी मिथ्स को दूर करना. यह पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन अस्थमा अटैक को कम करने और रोकने के लिए अस्थमा को प्रबंधित करना संभव है.