विश्व जल दिवस: वक़्त रहते नहीं चेते तो कितना गहरा सकता देश में जल संकट?


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स्टोरी हाइलाइट्स

भारत के पास दुनिया के ताजे जल संसाधन का केवल 4 प्रतिशत..!!

पानी के महत्व को समझने और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। दुनिया का 70 फीसदी हिस्सा पानी से घिरा है, लेकिन उसमें से पीने योग्य पानी लगभग तीन फीसदी ही है। 97 फीसदी पानी ऐसा है जो पीने लायक ही नहीं है।

ऐसे में दुनिया के साथ देश पर भी जल संकट का बड़ा खतरा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में एक वर्ष में उपयोग किए जाने वाले जल की शुद्ध मात्रा अनुमानित 1,121 बिलियन क्यूबिक मीटर है। जबकि वर्ष 2025 में पीने वाले पानी की मांग 1093 और 2050 तक बढ़कर 1447 बीसीएम तक पहुंच सकती है।

1.4 अरब से अधिक की आबादी के बावजूद भारत के पास दुनिया के ताजे जल संसाधन का केवल 4 प्रतिशत ही है। वहीं संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से भूजल संकट गहरा सकता है।

यही कारण है कि स्वच्छ और पीने वाले जल की आवश्यकता और जल संकट की स्थिति को  वक़्त रहते समझा जाये। इसके लिए ही विश्व जल दिवस के माध्यम से न सिर्फ जलसंकट की भयावहता से रूबरू कराया जाता है बल्कि इसे सजेहने का सन्देश भी दिया जाता है। 

गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर जल दिवस मनाने की शुरुआत 1993 में हुई थी। वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने एक सम्मेलन का आयोजन किया। उसी दिन विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई। बाद में 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया। तब से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाने लगा।