शिवपुरी: सिंधिया राजघराने की प्रभावशाली सदस्य, भाजपा की वरिष्ठ नेता शिवपुरी की पूर्व विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने एक बार फिर यह जता दिया है कि भले ही उन्होंने सक्रिय चुनावी राजनीति से 2023 में शिवपुरी के मंच से दूरी की घोषणा की हो, पर जब बात जन सरोकारों और सरकार की जवाबदेही की हो तो वे अब भी उसी सख्ती से सामने आ सकती हैं।
उनके लगातार दो तीखे सोशल मीडिया पोस्टों ने न केवल शासन प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है बल्कि भाजपा के भीतर संवादहीनता असंतोष और गुड बॉय पॉलिटिक्स की अधूरी स्क्रिप्ट की परतें भी उजागर की हैं।
उनकी पहली एफबी पोस्ट पुल बन गया, फिर भी जनता के लिए नहीं खुला क्यों... विवेकानंद नीडम पुल पर तीखा सवाल किया गया है।
वर्षों के इंतजार के बाद ग्वालियर का विवेकानंद नीडम का पुल बनकर तैयार है फिर भी जनता के लिए नहीं खुला क्यों..
क्या अब विकास कार्य किसी कार्यक्रम या फीता काटने के इंतजार में रुकेंगे ?
यह पोस्ट स्पष्ट रूप से प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल था लेकिन इसके राजनीतिक संकेत कहीं गहरे थे क्या अब विकास सिर्फ राजनीतिक शो ऑफ का मोहरा बन गया है।
शिवपुरी की क्रिकेट अकादमी पर यशोधरा राजे की वह पोस्ट जिस पर मंत्री को देना पड़ा जबाव
अपनी दूसरी पोस्ट में यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी की क्रिकेट अकादमी को लेकर काफी तीखी प्रतिक्रया दी है। उन्होंने सरकारी मंशा को आईना दिखाते हुए लिखा बेटियों का भविष्य कोई खर्च नहीं एक निवेश है। यह उनका गर्ल्स क्रिकेट अकादमी के पक्ष में सशक्त हस्तक्षेप दर्शाता है।
राज्य सरकार की तीन अकादमियों को बंद करने की संभावित योजना की खबर पर यशोधरा राजे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने शिवपुरी की गर्ल्स क्रिकेट अकादमी की उपलब्धियों को साझा करते हुए लिखा वर्ष 2022 में शुरू शिवपुरी की राज्य स्तरीय गर्ल्स क्रिकेट अकादमी कोई खर्च नहीं एक निवेश है बेटियों के भविष्य के लिए।
उन्होंने इसे उस उड़ान की रनवे बताया जो बेटियों को राज्य से राष्ट्रीय मंच तक ले जाती है। उन्होंने खिलाड़ियों की सूची और परफॉर्मेंस भी सार्वजनिक की जिनमें संस्कृति गुप्ता ,अनुष्का शर्मा, राहिला फिरदौस जैसी बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। हालांकि प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग ने स्पष्टीकरण दिया है कि खेल अकादमी का रिव्यू किया गया है उसे बंद करने की कोई मंशा नहीं है। रिव्यू एक सामान्य प्रक्रिया है।
हालांकि यह राजे की मीडिया पोस्ट के बाद आई प्रतिक्रिया है। यशोधरा राजे सिंधिया की यह पोस्ट न केवल सरकार की योजना पर सवाल थी बल्कि एक स्पष्ट संकेत था कि यदि सरकार बिना आधार बेटियों की उड़ान रोकने की कोशिश करेगी तो वे चुप नहीं रहेंगी।
भाजपा के लिए सॉफ्ट वॉर्निंग या शक्ति प्रदर्शन
इन पोस्टों को केवल व्यक्तिगत असंतोष मानना बड़ी भूल होगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह भाजपा सरकार को सॉफ्ट वॉर्निंग है, न केवल योजनाओं के निष्पादन पर बल्कि पार्टी के भीतर संवादहीनता वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा और नीति निर्माण से कटे रहने को लेकर भी।
विशेषकर तब जब यशोधरा राजे ने 2023 में सक्रिय राजनीति से व्यक्तिगत बजहों से स्वयं किनारा करने की घोषणा के बाद उन्होंने न मोहन यादव के शपथ ग्रहण में सक्रिय दिखाई दीं न न ही हाल की संगठनात्मक बैठकों में सक्रिय दिखीं। उनकी यह सार्वजनिक प्रतिक्रिया दर्शाती है कि वे न केवल जमीनी सच्चाई से जुड़ी हैं बल्कि पार्टी की कार्यशैली से भी असहज हैं।
राजे की टिप्पणी न केवल क्रिकेट अकादमी और पुल तक सीमित है बल्कि यह भाजपा के उस वर्ग की पीड़ा को भी आवाज दे रही हैं जो शिवराज सरकार के साथ ऊर्जावान था और अब मोहन सरकार में हाशिए पर महसूस कर रहा है।
ग्वालियर.चंबल क्षेत्र में सिंधिया परिवार की पकड़ और यशोधरा राजे की राजनीतिक विरासत को देखते हुए ये पोस्ट भाजपा के लिए चेतावनी का अलार्म हो सकती हैं।
एक वरिष्ठ नेता की ऐसी सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर पार्टी का मौन रहना एक और संकेत है दृ या तो यह अंदरखाने खींचतान की पुष्टि हैए या फिर भाजपा में वरिष्ठ नेतृत्व की राय की अनदेखी की नीति की गहराई बढ़ चुकी है।
यशोधरा राजे ने जनता पूछती है हैशटैग के साथ किया गया पोस्ट दरअसल उस आंतरिक उबाल का सार्वजनिक रूप है जिसे अब दबाया नहीं जा सकता।
यशोधरा राजे सिंधिया का यह रुख बताता है कि राजनीति से दूरी का अर्थ चुप्पी नहीं होता। वे जब भी बोलेंगी सरकार और संगठन दोनों को आईना दिखाने से पीछे नहीं हटेंगी। अब यह भाजपा पर है कि वह इन पोस्ट को एक असंतुष्ट नेता की प्रतिक्रिया माने या एक अनुभवी नेतृत्व की चेतावनी जो यदि अनसुनी की गई तो उसका असर आने वाले राजनैतिक समीकरणों में भी देखने को मिल सकता है।