बनारस का न्यौता


Image Credit : TV9

स्टोरी हाइलाइट्स

मुझे नहीं पता कि तुम किस शहर में रहते हो, किसी दिन बैग में एक-आध कपड़े रख के निकल पड़ो बनारस।

कहतें हैं कि मुम्बई मायानगरी है जहाँ छोटे-छोटे इंसानों के बड़े बड़े सपने पूरे हुए हैं!
पर बनारस...

ये वो जगह है जहाँ पर इंसान बड़े से बड़े सपने को जलते हुए, मिट्टी में खाक होते हुए देखता है...
एक चद्दर रख लेना साथ में या फिर बनारस सिटी स्टेशन के बाहर से 10 रुपये में बिकने वाली पन्नी ले लेना और पहुँच पड़ना सीधे मणिकर्णिका।
ये वो जगह है जहां इंसानी लाशों के जलते हुए उजाले में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई दिखाई देती है। 

एक रात के लिए भूल जाना कि तुम्हारे क्रेडिट कार्ड के लिमिट कितनी है, तुम्हारे डेबिट कार्ड में कितने पैसे पड़े हैं जिन्हें तुम अभी निकाल के 5 स्टार होटल बुक कर सकते हो, भूल जाना अपने पैरों में पड़े हुए जूते की कीमत या कलाई में टिक-टिक करती हुई घड़ी की कीमत और पन्नी बिछाकर बैठ जाना एक कोने में और देखना चुप चाप वहाँ का तमाशा। तुम्हें सिर्फ और सिर्फ सच दिखाई देगा। तुम देखोगे की कैसे वो लोग जिन्होनें अपनी जिंदगी सबकुछ भूलकर अपने सपनों को पूरा करने में बिता दी कैसे यहाँ औंधे मुँह पड़े हैं। वो लोग जो जिनके पास कभी समय नही रहा लोगों के लिए उन्हें कैसे लोग जलते हुए ही छोड़ कर चला जाया करते हैं, वो लोग जिन्होंने अपने ईगो में आकर किसी के सामने झुकना नहीं स्वीकारा वो कैसे अभी गिरे हुए हैं, और इस कदर गिरे हुए हैं कि बिना चार लोगों के उन्हें उठाया भी नही जा सकता।

वो लोग जिन्हें गुमान था अपने हुस्न अपनी हर एक चीज़ पर आज कैसे कुछ घंटों के बाद उनका यहाँ कुछ भी अपना नहीं रहेगा।
हमेशा हमेशा के लिए, वो लोग जिन्होंने ठोकर मार दी उनको जिन्होंने उन्हें सबसे ज्यादा चाहा और आज उनके पास कोई आखिरी लौ बुझने तक साथ बैठने वाला तक नहीं , वो लोग जिन्होनें पहनी महंगी घड़ियाँ पर आज  पता चला कि समय क्या है, वो लोग जिन्होंने पूरी जिंदगी दूसरों को दुःख दिया उनकी आवाज आज उनकी चटकती हड्डियों से कैसे निकल रही हैं, तुम देखोगे की यहाँ जो हो रहा  है वही सच है बाकी सब झूठ

तो सुनो न यार!
कभी भी किसी को दुःख मत दो!
हाँ पता है कि दुनिया के सबको खुश नही रखा जा सकता पर हर कोई आपसे दुखी भी नही हो सकता, अभी मैं कुछ भी कर दूँ, कितना भी बुरा उससे दुनिया के बड़े-बड़े सेलेब्रिटी को कोई फर्क पड़ने वाला है क्या?
नही!
तो वही तुमसे दुःखी होगा जो तुमसे प्यार करता हो, जो तुमसे जुड़ा हुआ है, तो अगर तुम किसी को खुशी नही दे सकते तो पहले ही बोल दो और उसे भी उन्ही बाकी के सेलिब्रिटी वाले कैटेगरी में डाल दो, वरना एक बार जुड़ जाने के बाद कभी भी किसी को मत रुलाओ अपनी वजह से, अपनों की वजह से! 

पता नहीं किस पिक्चर का डायलॉग है पर सच है ''हमारी  दादी" कहती थीं कि कभी किसी की ''आह'' नही लेनी चाहिए'' वरना ये आह चीखती हैं, चिल्लाती हैं, जलती हुई हड्डियों से इसकी आवाज दूर तक शमसान पर गूँजती है! और उस वक्त कोई सुनने वाला नही होता, एक दिन तो इस शरीर को अकड़ ही जाना है तब तक के लिए अपनी अकड़ थोड़ा किनारे रख लो।

बस एक रात की बात है जाओ कभी मणिकर्णिका, सब सीख जाओगे बिना किसी के सिखाए, यकीन करो अगली सुबह अपना बैग, घड़ी, और जूते और शायद खुद को भी साथ लेकर वापस आने का भी मन नही करेगा क्योंकि जलती हुई हड्डियों की चीखें बहुत सन्नाटा भर देंगी तुम्हारे अंदर जो किसी का दर्द, दुःख हँसते हुए ले लेने के लिए काफी रहेगा हमेशा के लिए ।