'महाकुंभ पहले ही समाप्त हो चुका, यह सरकारी कुंभ है', शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान


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स्टोरी हाइलाइट्स

शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ पूर्णिमा के साथ समाप्त हो गया क्योंकि वास्तविक कुंभ माघ महीने में होता है..!!

प्रयागराज में बुधवार को महाशिवरात्रि स्नान के साथ महाकुंभ 2025 का समापन हो गया, लेकिन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इसे लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा किया कि असली महाकुंभ तो पहले ही समाप्त हो चुका है और अब तक जो चल रहा था, वह सिर्फ 'सरकारी कुंभ' था। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने महाकुंभ को लेकर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी उन्होंने सफाई व्यवस्था और तैयारियों को लेकर प्रशासन को घेरा था।

शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ पूर्णिमा के साथ समाप्त हो गया क्योंकि वास्तविक कुंभ माघ महीने में होता है। उन्होंने कहा, “माघ महीने की पूर्णिमा बीत चुकी है और कल्पवासी भी उस समय लौटते हैं। वर्तमान में सरकार द्वारा अलग से कुंभ मेला आयोजित किया जा रहा है, जिसका पारंपरिक कुंभ जैसा आध्यात्मिक महत्व नहीं है। उनके बयान से कुंभ मेले की पवित्रता और परंपरा को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

इसके साथ ही शंकराचार्य ने गोहत्या के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है और इसके लिए 17 मार्च की तारीख तय की है। सभी राजनीतिक दलों से स्पष्ट रुख अपनाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, "हमने सभी दलों से यह बताने को कहा है कि क्या वे गोहत्या रोकना चाहते हैं या इसे जारी रखना चाहते हैं।" यह मुद्दा आजादी के बाद से ही लंबित था और हमने उन्हें निर्णय लेने के लिए 17 मार्च तक का समय दिया है। उनके इस बयान से राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है।

बुधवार को महाकुंभ के समापन के साथ ही 45 दिनों तक चला यह ऐतिहासिक आयोजन समाप्त हो गया। 13 जनवरी से शुरू हुए इस कुंभ में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। 

मेला प्रशासन के अनुसार अकेले महाशिवरात्रि स्नान के दिन 1.53 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इस बार कुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक थी, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बन गया।