महाकुंभ भगदड़, MP के 4 श्रद्धालुओं की मौत, 3 लापता, दु:ख जताते हुए CM मोहन ने की मुआवज़े की घोषणा


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

महाकुंभ भगदड़ में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 25 लोगों की पहचान हो चुकी है, जिनमें मध्य प्रदेश के 4 लोग शामिल हैं, जबकि 3 श्रद्धालु लापता हैं..!!

Mahakumbh Stampede Update: मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करने के लिए मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे। यहां भगदड़ में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 3 लोग लापता हैं।

मृतकों में ग्वालियर के टेकनपुर निवासी कामता पाल, रायसेन के गैरतगंज निवासी मोहनलाल अहिरवार (45) और इटारसी निवासी उमेश सराठे (48) की मौत की पुष्टि उनके परिजनों ने की है। छतरपुर के सुनवाहा गांव निवासी हुकुमबाई लोधी अपने परिवार के 15 सदस्यों के साथ महाकुंभ में स्नान करने आई थीं। भगदड़ में उनकी मौत हो गई, जबकि उनकी बेटी दीपा (19) घायल हो गई। बक्सवाहा निवासी बुजुर्ग दम्पति हरि साहू (58) और शकुंतला (55) लापता हैं। इधर, चित्रकूट के तरौहा निवासी एक व्यक्ति ने अपने बहनोई चंद्रपाल कुशवाहा की मौत की सूचना दी।

महाकुंभ में भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत की इस हृदयव विदारक घटना पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है। सीएम ने मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से 2-2 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है।

सीएम ने इस हृदय विदारक घटना पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह मां गंगा से प्रार्थना करते हैं कि वे मृतकों की पवित्र आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। 

सीएम ने मृतक हुकुम बाई लोधी एवं अन्य मृतकों के परिवार को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की। जिला प्रशासन भी शोक संतप्त परिवारों को नियमानुसार हर संभव सहायता उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के साथ समन्वय कर शव को एम्बुलेंस से उनके पैतृक गांव पहुंचाने की व्यवस्था कर दी गई है।

सीएम की स्थिति में मध्य प्रदेश के श्रद्धालुओं को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 0755-2708055 और 0755-2708059 (वल्लभ भवन, सिचुएशन रूम, भोपाल) स्थापित किए गए हैं। जरूरतमंद लोग दिन के किसी भी समय इन नंबरों पर कॉल कर सकते हैं और वांछित सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

आपको बता दें, कि यमुना, गंगा और अदृश्य सरस्वती का संगम नोज पर होता है। यह स्थान कुंभ स्नान के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस स्थान का आकार नाक जैसा है। यहां ज्यादातर लोग सामने त्रिकोणीय क्षेत्र में बने घाट पर पहुंचते हैं। हर बार कुंभ के दौरान इस क्षेत्र में घाट का आकार बढ़ा दिया जाता है। इस बार हर घंटे दो लाख लोगों को स्नान की सुविधा देने की व्यवस्था की गई।

महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में नहाने के लिए घाट पर रात में ही डेरा जमा लेते हैं। हर कोई त्रिवेणी में स्नान करना चाहता था, इसीलिए बैरिकेटिंग तोड़ दी गई। वहीं संगम क्षेत्र में वीआइपी मूवमेंट के चलते बार-बार रास्ते भी बंद किए जाने से अव्यवस्था फैल गई और भारी मात्रा में भीड़ जमा होने लगी। स्नान के बाद घाट से निकलने का अलग रास्ता ना होने से भी जाम जैसी स्थिति निर्मित हो गई।

पौराणिक महत्व के कारण वहां संगम नोज पर कोई बैरिकेडिंग नहीं जाती। भीड़ को रोकने के लिए बैरिकेडिंग होनी चाहिए। लोग केवल संगम नोज का महत्व जानते हैं। अन्य घाटों के महत्व के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में शाही स्नान करने पहुंचे करोड़ों लोगों में भगदड़ मचने के बाद प्रयागराज में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। रीवा और सतना के निकट 10 से अधिक चौराहों पर हजारों वाहन खड़े कर दिए गए हैं और श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे जहां हैं, वहीं रहें। रीवा में चाकघाट बॉर्डर पर 30 किलोमीटर लंबा जाम लगा है, जबकि सतना में चित्रकूट बॉर्डर पर कई जगह वाहन खड़े हैं।

अधिकारियों ने कार्यभार भी संभाल लिया है। यात्रियों के लिए भोजन, पेय एवं आवास की व्यवस्था की जा रही है। सुरक्षा कारणों से रेलवे प्रशासन ने मंगलवार को आनंद विहार से रीवा आने वाली ट्रेन और रीवा से आनंद विहार जाने वाली ट्रेन को रद्द कर दिया। इधर छतरपुर में महाकुंभ जाने वाली ट्रेनों पर पथराव के कारण अंबेडकर नगर-प्रयागराज ट्रेन को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया गया है। रेलवे स्टेशनों पर 24 घंटे जिला पुलिस बल की टीमें तैनात की गई हैं।

प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं को चाकघाट सीमा पर रोक दिया गया। यहां करीब एक लाख श्रद्धालु फंसे हुए हैं। प्रशासन ने कुंभ यात्रियों के लिए एक रैन बसेरा बनाया था, जो अधूरा रह गया। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पास में स्थित एक विवाह मंडप को खोल दिया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। साथ ही, अलग-अलग स्थानों पर उनके रहने की व्यवस्था भी की गई।