गुरुवार 3 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन कलश स्थापना की जाती है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पर 3 दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अनंत फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शुभ समय, मां शैलपुत्री की पूजा विधि, आरती, नैवेद्य और मंत्र सब कुछ।
कलश स्थापना तिथि एवं समय
कलश स्थापना मुहूर्त द्विस्वभाव कन्या राशि में है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 03 अक्टूबर 2024 प्रातः 12:18 बजे
प्रतिपदा की समाप्ति तिथि - 04 अक्टूबर, 2024 प्रातः 02:58 बजे
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कन्या लग्न प्रारंभ - 03 अक्टूबर 2024 प्रातः 06:15 बजे
कन्या लग्न उदय समाप्त - 03 अक्टूबर 2024 प्रातः 07:21 बजे
कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
अवधि - 00 घंटे 47 मिनट
माता शैलपुत्री स्वरूप
देवी शैलपुत्री बैल पर सवार हैं। माता ने केवल श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। मां का यह रूप सौम्यता, करुणा, स्नेह और धैर्य का प्रतिनिधित्व करता है। मान्यता है कि माता शैलपुत्री की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने से चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है।
मां शैलपुत्री को ये चीजें अर्पित करें
माता की पूजा और प्रसाद में सफेद रंग की वस्तुओं का प्रयोग अधिक करना चाहिए। देवी मां को सफेद फूल, सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई अर्पित करें। माता शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी लड़कियों को सुयोग्य वर मिलता है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
मां शैलपुत्री की पूजा की विधि
नवरात्रि के पहले दिन सुबह-सुबह स्नान करें।
फिर देवी मां का ध्यान करते हुए कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापित करने के बाद माता शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें।
माता शैलपुत्री को कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं।
मां शैलपुत्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
माता शैलपुत्री को सफेद फूल अर्पित करें।
मां शैलपुत्री की आरती करें और भोजन करें।
मां शैलपुत्री पूजा मंत्र
बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:
प्रार्थना मंत्र- वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।