Day 4 Kushmanda Devi Puja: रविवार 6 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है। चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में नवरात्रि पर शक्ति की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता है और सभी दुख दूर हो जाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कूष्मांडा की मुस्कान की एक झलक से पूरे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती।
तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चतुर्थी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 07:49 बजे शुरू होगी और 7 अक्टूबर को सुबह 09:47 बजे समाप्त होगी।
माँ कूष्मांडा का स्वरूप
माता कूष्मांडा का वाहन सिंह है और आदिशक्ति की 8 भुजाएं हैं। इन 7 हाथों में कमल के फूल, अमृत से भरा कलश, कमंडल और कुछ औज़ार जैसे धनुष, बाण, चक्र और गदा हैं। जबकि आठवें हाथ में जप की माला है जो सभी सिद्धियों और संपत्तियों को प्रदान करती है। माना जाता है कि कुम्हड़े की बलि देवी मां को बहुत प्रिय है, कुम्हड़े को संस्कृत में कूष्मांडा कहा जाता है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा की पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण करें। पूजा के दौरान देवी को पीला चंदन ही अर्पित करें। इसके बाद कुमकुम, मौली, अक्षत चढ़ाएं। एक पान के पत्ते पर थोड़ा सा केसर लेकर ॐ बृं बृहस्पते नम: मंत्र का जाप करते हुए देवी को अर्पित करें। अब ॐ कूष्माण्डाय नमः मंत्र की एक माला का जाप करें और दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
मां कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन पूजा के दौरान देवी को पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई चढ़ाएं। कूष्मांडा देवी को पीला कमल प्रिय है। माना जाता है कि इसे देवी को अर्पित करने से साधक को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
मां कूष्मांडा का पसंदीदा भोजन
पूजा के समय मां कूष्मांडा को हलवा, मीठा दही या मालपुआ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और इस प्रसाद को न केवल ग्रहण करना चाहिए बल्कि ब्राह्मणों को दान भी करना चाहिए।
मां कूष्मांडा का प्रिय पुष्प और रंग
मां कूष्मांडा को लाल रंग पसंद है इसलिए पूजा के दौरान उन्हें लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब आदि चढ़ा सकते हैं, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
कूष्मांडा देवी की पूजा का महत्व
देवी कूष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त कर उन्हें जीवन, प्रसिद्धि, शक्ति और बुद्धि प्रदान करती हैं। संसार में यश की इच्छा रखने वाले को कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। देवी की कृपा से उसे विश्व प्रसिद्धि प्राप्त होगी।
देवी का प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र-
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥