Tulsi Vivah: देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह, भगवान शालिग्राम तुलसी विवाह शुभ समय और पूजा विधि


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स्टोरी हाइलाइट्स

तुलसी-शालिग्राम विवाह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भी किया जाता है..!!

Tulsi Vivah 2024: तुलसी विवाह कैलेंडर के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में तुलसी-शालिग्राम विवाह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भी किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसे देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी के नाम से जाना जाता है। 

हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी को अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के जागने पर तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ पूरे अनुष्ठान के साथ किया जाता है।

देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसीजी का विवाह कराने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

देवउठ की एकादशी को चार महीने तक योग निद्रा में रहे भगवान विष्णु को शंख बजाकर और मंगल गीत गाकर जगाया जाता है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र समेत सारी जानकारी।

तुलसी विवाह 2024 तिथि..

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू हुई। तिथि 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी। 12 नवंबर को उदयव्यापनी एकादशी होने के कारण इस दिन देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जा रहा है।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2024..

12 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5.29 बजे से शाम 7.53 बजे तक रहेगा।

तुलसी विवाह का महत्व..

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह का बहुत विशेष महत्व होता है। चार महीने की योगनिद्रा के बाद जब भगवान जागते हैं, तो उस दिन सभी देवी-देवता एकत्रित होते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। जब भगवान विष्णु जागते हैं तो चार महीने से रुके हुए सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस दिन भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह किया जाता है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं और जो लोग विवाह में बाधा उत्पन्न कर रहे होते हैं वे भी दूर हो जाते हैं। 

शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराने से कन्यादान के समान पुण्य मिलता है। अगर किसी के वैवाहिक जीवन में कई बाधाएं आ रही हैं या बार-बार शादी टूट जाती है तो इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करना शुभ माना जाता है।

शालिग्राम-तुलसी विवाह पूजन विधि..

कार्तिक माह में देवउठ की एकादशी को भगवान विष्णु और तुलसी रूपी विष्णुप्रिया का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक रूप से तुलसी के पेड़ से बने सुंदर मंडप के नीचे शालिग्राम की परिक्रमा करती हैं। विवाह के दौरान कई गीत, भजन और तुलसी नामाष्टक के साथ विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने की परंपरा है। 

धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु निद्रा से जागने के बाद सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं, इसलिए लोग इस दिन तुलसी की पूजा भी करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र क्षण के स्वागत का अवसर माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम का विवाह करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और दाम्पत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।

तुलसी मंत्र-

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।

महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।

विष्णु प्रियायै धीमहि।

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।