भोपाल: वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर अवधेश मीना अपनी पहली ही पोस्टिंग में विवादों से घिर गए हैं। यही नहीं, अब उन पर कार्यवाही की गाज भी गिरने की संभावना है। पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ शुभरंजन सेन ने वन विहार राष्ट्रीय उद्यान डायरेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए फाइल पीसीसीएफ प्रशासन-एक के विवेक जैन को भेज दी है।
जैन के यहां फाइल लंबित है। वैसे वाइल्डलाइफ कैफे के संचालन से संबंधित विवाद हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ कार्यालय से 7 दिनों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वाइल्ड कैफे चलाने के लिए निविदाएं आमंत्रित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था। शीर्ष अधिकारियों के दबाव में वन विहार डायरेक्टर मीना ने विज्ञापन में एक शर्त ऐसी जोड़ी थी कि जिसमें उल्लेख था कि मौजूदा वाइल्ड कैफे संचालक यदि एल-1 फर्म के बराबर बोली की रकम अदा करता है, तो उसे पुनः संचालन का अधिकार दिया जा सकता है।
कैफे के लिए जारी विज्ञापन में वर्तमान वाइल्ड कैफे के संचालक अश्वनी कुमार रिछारिया समेत चार फर्म मैसर्स प्रज्ञा एसोसिएट्स छतरपुर, दौलत राम इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ओबेदुल्लागंज और श्रुति जैन शिव शक्ति दाल मिल कृषि उपज मंडी भोपाल ने हिस्सा लिया। निविदा समिति ने दो फर्म मैसर्स प्रज्ञा एसोसिएट्स छतरपुर और दौलत राम इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ओबेदुल्लागंज को दस्तावेज में कमी बताते हुए दौड़ से बाहर कर दिया।
श्रुति जैन शिव शक्ति दाल मिल कृषि उपज मंडी भोपाल ने वाइल्ड कैफे के संचालन के लिए सबसे अधिक बोली 21 लाख एक रूपये की लगाई। यानि एल-1 श्रुति जैन शिव शक्ति दाल मिल कृषि उपज मंडी भोपाल को कैफे के संचालन के वर्क ऑर्डर भी वन विहार डायरेक्टर अवधेश मीना ने जारी कर दिए।
श्रुति जैन शिव शक्ति दाल मिल कृषि उपज मंडी भोपाल को कैफे के संचालन कि सच के अनुसार 21 लाख ₹1 का बैंक ड्राफ्ट भी जमा कर दिया। इस दौरान शीर्ष अधिकारियों के दबाव में डायरेक्टर मीना ने एल -1 का टेंडर निरस्त करते हुए वर्तमान में संचालित कर रहे फर्म को ही कैफे संचालक के आदेश जारी कर दिए। बस यहीं से विवाद शुरू हो गया।
दोनों ही पार्टी पहुंची हाई कोर्ट..
संचालन को लेकर दो पार्टियों में जंग शुरू हो गई। पहले एल-1 फर्म शक्ति दाल मिल हाई कोर्ट में वन विहार डायरेक्टर पर अनुबंध तोड़ने का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता श्रुति जैन की ओर से अधिवक्ता ने तर्क रखा कि भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वाइल्ड कैफे चलाने के लिए निविदाएं आमंत्रित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता ने भाग लिया और सफल घोषित किया गया। सभी अधिकार और अधिकार वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक में निहित हैं, लेकिन मनमाने ढंग से प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) के कार्यालय ने मनमाने ढंग से और अवैध तरीके से निविदा को रद्द दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ कार्यालय 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल कर सकता है।
शीर्ष अफसर कर रहें है प्रताड़ित..
श्रुति जैन, शिव शक्ति दाल मिल ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखकर वन विभाग के एसीएस अशोक वर्णवाल और कुछ सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और अधिकार के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। मुख्य सचिव को लिखिए पत्र में उल्लेख है कि 28 जनवरी 25 को हमने वन विहार के साथ पांच वर्षों के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए और उस पर वन विहार के निदेशक द्वारा मुहर और हस्ताक्षर किए गए। 31 जनवरी को हमें पता चला कि वन विहार के निदेशक पर इस टेंडर को रद्द करने का दबाव डाला है।
इस मामले में एसीएस वर्णवाल सहित फारेस्ट के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं, जो इस टेंडर को रद्द करने पर जोर दे रहे हैं ताकि किसी अन्य पार्टी को फायदा पहुंचाया जा सके। सत्ता का दुरुपयोग न केवल पीड़ितों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि प्रशासन और कानून के शासन में जनता का विश्वास भी कम करता है।
इनका कहना..
वाइल्डलाइफ कैफे के संचालन को लेकर विवाद हाईकोर्ट में लंबित है। मैं मानता हूं कि डायरेक्टर ने गलत शर्त जोड़ी है। इस वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और मैंने प्रस्ताव पीसीसीएफ प्रशासन-एक विवेक जैन को भेज दिया है।
शुभ रंजन सेन, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ